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कब पाएंगे भ्रष्टाचार नाम के दुश्मन से पार ! उत्तराखण्ड में सामने आया ब्याज घोटाला…


देहरादून: देशभर में घोटाले को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। विपक्ष रफाल डील के मुद्दे पर सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है। यह मुद्दा पूरे देश में सुर्खियां बना हुआ है।  इस बार सूबे की ग्राम पंचायतों में सात करोड़ रुपये का ब्याज घोटाला प्रकाश में आया है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार पंचायतों के खातों में विकास कार्यों का जो बजट आया, उसका पूरा ब्याज पंचायतों ने अपनी जेब भर ली। पंचायतों को जारी होने वाले सरकारी धन के दुरुपयोग का यह खुलासा वित्त विभाग की तरफ से जारी ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है।

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उत्तराखण्ड में कुल 7969 ग्राम पंचायतें हैं। केंद्र की ओर से  विकास के लिए 14वें और और राज्य की ओर से चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक विकास निधि जारी की जाती है। यह राशि पहले पंचायती राज निदेशालय को आवंटित किया जाता है। वित्त विभाग इस राशि को पंचायती राज विभाग को ट्रांसफर करता है। इसके बाद समय-समय पर ग्राम पंचायतों की मांग और जिला पंचायतों के प्रस्ताव पर यह विकास निधि प्रोजेक्ट के हिसाब से ग्राम पंचायतों के  खाते में स्थानांतरित की जाती है। खास बात यह है कि जिलाधिकारी और सांसद भी गांवों के विकास के लिए मांग के अनुरूप ग्राम पंचायतों के खाते में विकास के लिए पैसा ट्रांसफर करते हैं। बैंकों में जमा इस राशि से जो ब्याज मिलता है उसे वापस ट्रेजरी चालान के जरिए राजकोष में जमा करना होता है। ग्राम पंचायतों का बैंक खाता ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से संचालित होता है।

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बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से 14वें वित्त आयोग और प्रदेश सरकार राज्य वित्त आयोग से हर साल पंचायतों को विकास कार्यों के लिए करोड़ों का बजट  दिया जाता है। वित्त विभाग की ओर से किए ऑडिट में पौड़ी गढ़वाल, चमोली, हरिद्वार, टिहरी, देहरादून, रुद्रप्रयाग, ऊधमसिंह नगर, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा सहित सूबे के सभी जिलों की पंचायतों में (2011-12 से 2015-16) पांच सालों के हुए कार्यों को देखा गया तो इसमें 90 फीसदी पंचायतें घपलों में घिरी पाई गईं और करोड़ों का हेरफेर सामने आया है।

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इस पैसे की बात रिपोर्ट में की जा रही है वो पंचायतों के खाते में विकास का जो बजट जमा होता है, उस पर बैंक से ब्याज भी मिलता जारी होता है। पंचायतों ने इस ब्याज को राजकोष में जमा करने की बजाए निजी धन की तरह प्रयोग कर लिया। नियम कहते हैं कि  ब्याज से मिला यह धन राजकोष में जमा किया जाना चाहिए जो कि नहीं किया गया है।  सचिव पंचायती राज विभाग पंकज पांडे ने कहा कि उनके पास ऑडिट रिपोर्ट नहीं पहुंची है। अगर यह बात सही पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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