हल्द्वानी: उत्तराखण्ड के लिए घरेलू क्रिकेट सीजन का अंत हो गया है। जूनियर लेवल क्रिकेट टूर्नामेंट में राज्य की टीम का प्रदर्शन शानदार रहा था। वहीं सीनियर टीम के प्रदर्शन से फैंस को निराशा हाथ लगी। रणजी ट्रॉफी में जो हुआ वो एक बुरे सपने की तरह था। टीम 7 मुकाबले हारी और ग्रुप में सबसे नीचे रही। जबकि अंडर-14 राजसिंह डुंगरपुर ट्रॉफी और 19 कूच बिहार ट्रॉफी में टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। इस सीजन में हल्द्वानी से निकल कर राज्य टीम में जगह बनाने वाले खिलाड़ियों ने प्रदर्शन शानदार रहा। कई रिकॉर्ड वो अपने नाम करने में भी कामयाब रहे। आज हम उन्हीं खिलाड़ियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
कमल कन्याल– एक ऐसा खिलाड़ी जिसने पूरे भारतीय क्रिकेट का ध्यान अपनी ओर खींचा। गौलापार ( ग्रेटर हल्द्वानी) के रहने वाले कमल के बल्ले ने पूरे सीजन रनों का अंबार लगा दिया। अंडर-19 वनडे से शुरू हुआ ये सिलसिला रणजी ट्रॉफी तक चला। पूरे सीजन में कमल ने 4 शतक जड़े। कमल ने 4 पारियों में 243 रन बनाए थे, जिसमें दो फिफ्टी और एक शतक शामिल है। कूच बिहार ट्रॉफी के 9 मैच में 805 रन कमल के बल्ले से निकले। तीन शतक जिसमें एक दोहरा शतक शामिल है। इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र के खिलाफ रणजी टीम में चुना गया तो उन्होंने डेब्यू में शतक जड़ दिया। वह उत्तराखण्ड के लिए ऐसा करने वाले पहले बल्लेबाज बनें। दूसरी पारी में भी उन्होंने फिफ्टी जमाई। यह इस सीजन का पहला मौका था जब उत्तराखण्ड ने विरोधी टीम पर बढ़त बनाई थी लेकिन इसके बाद भी वह मैच हार गया।
दिक्षांशु नेगी: दिक्षांशु पहली बार उत्तराखण्ड के लिए इस सीजन खेले। इससे पहले वह कर्नाटका प्रीमियर लीग के 5 संस्करण में हिस्सा ले चुके थे। विजय हजारे में दिक्षांशु नेगी ने 3 पारियों में 59 रन और गेंदबाजी में 5 पारियों में 6 विकेट अपने नाम किए। इसके बाद उन्हें सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में चुना गया। उत्तराखण्ड टीम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। केवल दो मुकाबले टीम ने जीते थे। नेगी ने 59 रन और 4 विकेट हासिल किए थे। रणजी ट्रॉफी में जब उनका चयन हुआ तो कइयों को हैरानी हुई। इस खिलाड़ी को टी-20 विशेषज्ञ कहा जाता था। इस खिलाड़ी ने अपने चयन को सही साबित किया और टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए। दिक्षांशु ने रणजी के 9 मुकाबले में 450 रन बनाए। उनके बल्ले से तीन फिफ्टी निकली। उनका बेस्ट 81 रहा। 17 पारियों में 3 बार वह नॉट आउट रहे। अधिकतर मौकों पर दिक्षांशु जब भी मैदान पर उतरे टीम संकट से जूझ रही थी। अगर दिक्षांशु की तरह कुछ अन्य खिलाड़ियों का प्रदर्शन रहता तो शायद प्वाइंट टेबल पर उत्तराखण्ड का हाल कुछ और हो सकता था।
सौरभ रावत: उत्तराखण्ड के लिए पहला दोहरा शतक जमाने वाले इस बल्लेबाज ने टीम के लिए सीजन का पहला शतक जमाया। सौरभ ने झारखंड के खिलाफ 110 रनों की पारी खेली थी। रणजी ट्रॉफी में सौरभ ने 18 पारियों में 432 रन बनाए। उनके बल्ले से 1 शतक और दो फिफ्टी भी निकली। जबकि विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उन्होंने ताबडतोड़ बल्लेबाजी की थी। उन्होंने विजय हजारे में करीब 112 के स्ट्राइक रेट से 124 रन बनाए थे। वहीं सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 135.6 के स्ट्राइक रेट से 156 रन बनाए। विजय हजारे में सौरभ ने असम के खिलाफ 6 छक्के जमाए थे। इसके अलावा चंडीगढ़ के खिलाफ उन्होंने टीम की कमान भी संभाली थी।
मयंक मिश्रा: इस खिलाड़ी का नाम इतिहास के पन्नों पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। उत्तराखण्ड के लिए घरेलू क्रिकेट में मयंक हैट्रिक लेने वाले पहले खिलाड़ी हैं। उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में गोवा के खिलाफ ये कारनामा किया था। इसके अलावा रणजी ट्रॉफी में वो राज्य की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बनें। उनके खाते में 6 मुकाबलों में 18 विकेट रहे। पूरे सीजन में उन्होंने 27 विकेट हासिल किए। विजय हजारे में मयंक बेस्ट इकोनॉमी के मामले में सबसे आगे रहे थे। उत्तराखण्ड ने सिक्किम को 253 रनों से हराकर रिकॉर्ड जीत हासिल की। इस मुकाबले में मयंक ने 4.1 ओवर में 3 मेडन डाले और 2 विकेट भी लिए। इस दौरान उन्होंने केवल 2 रन दिए। पहले ही मैच में अपने प्रदर्शन से मयंक बेस्ट इकोनॉमी (0.48) गेंदबाजों ( एक पारी ) की सूची में पहले नंबर पर काबिज रहे।
पारितोष राणा: उत्तराखण्ड क्रिकेट टीम ने अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। हल्द्वानी के रहने वाले पारितोष राणा ने पहली बार इस टूर्नामेंट में शिरकत की। उन्होंने पहले राजस्थान के खिलाफ 48 रनों की पारी खेली और इसके बाद विदर्भ के खिलाफ 109 रनों की पारी खेल टीम को सेमीफाइनल का टिकट दिलाया। पारितोश की बल्लेबाजी में अनुशासन व धैर्य की सभी ने तारीफ की थी।