देहरादूनः कोरोना के चलते रोडवेज बसों का संचालन बंद कर दिया गया। लेकिन दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों का राज्य वापस लाने के लिए रोडवेजकर्मियों ने दिन-रात एक कर दी। रोडवेजकर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासियों को अपने-अपने घर पहुंचाया। लेकिन रोडवेज कर्मचारियों की महनत को शायद ही किसी ने समझा। अनलॉक में रोडवेज की बसें चली लेकिन रोडवेज के कर्मचारियों को वेतन ही नही मिल रहा। परिवहन निगम के कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से वेतन नही मिला है। जिसके वजह से कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा कमजोर हो गई है। और उन्हें घर चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अनलॉक में सरकार ने उत्तराखंड की बसों को राज्य के अंदर चलने की अनुमति दो दी। राज्य में 50 फीसदी यात्रियों के साथ बसें का संचालन किया जा रहा है, साथ ही यात्रियों से दोगुना किराया लिया जा रहा है। इसके चलते यात्री बसों से सफर नही कर रहे हैं। इसके चलते उत्तराखंड परिवहन घाटे में चल रहा है। और इसका सीधा असर रोडवेज कर्मचारियों पर पड़ा है।रोडवेज के कर्मचारियों को 3 महीने से वेतन नहीं मिला है।
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बता दें कि राज्य भर में तैनात कर्मचारियों को 3 महीने का वेतन देने के लिए निगम को करीब 66 करोड़ रुपये चाहिए। नैनीताल, टनकपुर और देहरादून के कर्मचारियों को मई,जून और जुलाई का वेतन अभी तक नही मिला है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि बजट प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेज दिया गया है। मंजूरी मिलने पर डिपोवार बजट का आवंटन किया जाएगा।