हल्द्वानी: कामयाबी का रास्ता परिश्रम से होते हुए जाता है। इसका प्रमाण पहाड़ की बेटी ने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा की परीक्षा में परचम लहराया कर दिया है। बागेश्वर जिले के कपकोट निवासी इंदिरा दानू 147वीं रेंक हासिल की है। तहसील कपकोट के दूरस्थ गांव कुंवारी की इंदिरा दानू की सफलता कहानी किसी युवा को प्रेरित कर सकती है। उन्हें स्कूल जाने के लिए 15 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता था। इन सभी परेशानियों को दरकिनार करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और आज पूरा उत्तराखण्ड उनपर गर्व कर रहा है। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह बागेश्वर की पहली महिला है। इंदिरा के पीसीएसजे उत्तीर्ण होने पर बागेश्वर सहित उनके पैतृक गांव कुंवारी व मल्ला दानपुर में भी खुशी की लहर है। इंदिरा ने इस सफलता का श्रेय माता-पिता सहित अपने ईष्ट देवता व गुरुजनों को दिया है।
इंदिरा दानू के पिता किशन सिंह दानू ग्राम प्रधान कुंवारी और माता शांति दानू पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। इंदिरा ने मां उमा बाल शिक्षा स्वास्थ्य मंदिर कपकोट से प्राथमिक शिक्षा और इंटर कालेज कपकोट से हाईस्कूल व इंटर की शिक्षा प्राप्त की। इंदिरा को स्कूल जाने के लिए लगभग 15 किमी पैदल सफर तय करना पड़ता था। इंटर के बाद इंदिरा ने पीजी कॉलेज में दाखिला लिया और बागेश्वर से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। साल 2005 में वो बागेश्वर महाविद्यालय में छात्र संघ उपाध्यक्ष बनी। इंदिरा ने बागेश्वर महाविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष का भी चुनाव लड़ा। इसके बाद उन्होंने अल्मोड़ा के एसएसजे कैंपस से एलएलबी और एलएलएम परीक्षा में उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद वो तैयारियों में जुट गई। उन्होंने दो बार उत्तराखंड पीसीएसजे में साक्षात्कार दिया।
न्यायाधीश बनने का सपना पहाड़ की बेटी ने देखा था और उसे साकार करने के लिए हर रुकावत से पार पाया। इंदिरा अभी विधि विषय में शोध कर रही हैं। निर्भया प्रकोष्ठ में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर कार्यरत हैं। शनिवार को जारी यूपी पीसीएसजे परिणाम में इंदिरा ने यूपी में न्यायाधीश बन गई।