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उत्तराखंड के पब्लिक स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका


उत्तराखंड के पब्लिक स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका

हल्द्वानीः लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। लॉकडाउन के वजह से सभी स्कूलों को बंद किया गया है। उत्तराखंड में निजी स्कूलों में लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई करवाने,तीन महीने की फीस मांगने और एजुकेशन एक्ट के मामले में कुछ समय के लिए रोकने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले निजी स्कूल के प्रबंधकों को एक बडा़ झटका लगा है। कोर्ट ने इस मामले में निजी स्कूल के प्रबंधकों को स्टे नहीं दिया है।

बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और समाजसेवी कुंवर जपेंदर सिंह ने लॉक डाउन में निजी स्कूलों के फीस मांगने, फीस एक्ट न होने और ऑनलाइन पढ़ाई करने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने जपेंदर सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए निजी स्कूलों की पूरी जानकारी कोर्ट में रखने के लिए शिक्षा विभाग को निर्देश दिए थे। इसके बाद निजी स्कूल प्रबंधकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे मांगा था। लेकिन, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे देने से साफ इनकार कर दिया।

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सुप्रीम कोर्ट में प्रिसिंपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की गई। याचिका एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप और चिल्ड्रेन अकेडमी के अतुल राठौर ने दायर की थी। दूसरी याचिका सेंट जूडस स्कूल की ओर से दायर की गई। बुधवार को दोनों याचिकाओं को क्लब कर सुनवाई हुई। इसपर देहरादून के जपिंदर सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि बिना पढ़ाई कराए स्कूलों का फीस लेना ठीक नही है। स्कूल बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने की बात कहकर । लेकिन, छोटे बच्चों को कैसे ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है।स्कूलों की इस तरह की मनमानी के खिलाफ ही जनहित याचिका दायर की गई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने हमें मामले में पक्ष रखने का मौका दिया है। स्कूलों की पूरी जानकारी कोर्ट में रखी जाएगी।

स्कूली बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने और उनसे फीस लेने का मामला अब गरमा गया है। कई लोगों का कहना है कि स्कूल के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई की बात कहकर उनसे मोटी फीस वसूली जा रही है। जो की गलत है। जपिंदर सिंह का कहना है कि स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं। और अब इस मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग कोर्ट से लगाई जाएगी। ताकि माता-पिता का शोषण बंद हो सके। वहीं बच्चों के आने वाले कल के साथ खिलवाड़ ना हो सके।

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