हल्द्वानी: लॉकडाउन के नियमों में छूट मिलने के बाद जब से उत्तराखंड में रोडवेज़ बसों का संचालन शुरू हुआ है, आए दिन रोडवेज़ विभाग किसी ना किसी सुर्खी को अपनी तरफ खींच ही लेता है। कभी कर्मचारियों की हड़ताल का मामला सामने आ जाता है तो कभी कोई दूसरा। लेकिन इस बार जिस विवाद में उत्तराखंड परिवहन निगम घिरता दिख रहा है, वह काफी गंभीर है। विभाग द्वारा किये गए डीज़ल घोटाले की बातें चर्चा में आते ही हर तरफ सनसनी फैल गई है।
दरअसल भारी मात्रा में उत्तराखंड के अलग अलग डिपो में तेल के घोटाले की खबरें सामने आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठा रहे हैं डिपो से मिली ताज़ा रिपोर्ट के आंकड़े। आंकड़ों के हिसाब से नैनीताल रीजन के सात डिपो ने तकरीबन 26 लाख से अधिक के डीज़ल की हेराफेरी को अंजाम दिया है।
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बता दें कि हर साल डिपोवार तेल की समीक्षा सें सालाना तेल खर्च की एक रिपोर्ट बनाई जाती है जिसे वित्त विभाग को सौंपा जाता है। इस साल भी सभी डिपो द्वारा ऐसी ही रिपोर्ट बना कर तौयार की गई थी, जिसके सत्यापन के दौरान इस घपले पर सबका ध्यान गया है। सभी डिपो से मिली रिपोर्ट का सत्यापन करने के बाद कागज़ी आंकड़ों का मिलान भी किया गया। परिवहन निगम मुख्यालय और इंडियन ऑयल कंपनी ने सभी मानकों के मुताबिक शॉर्टेज की जांच की लेकिन फिर भी 37317 लीटर के तेल का अंतर कम नहीं हुआ।
जानकारी के अनुसार तेल की सबसे ज़्यादा शॉर्टेज काठगोदाम डिपो में पाई गई है। इसके अलावा शुरुआती मिलान के दौरान अल्मोड़ा डिपो में 6060 लीटर, रानीखेत 5980, हल्द्वानी 9202, रुद्रपुर 2171, भवाली 2534, काठगोदाम 20095, काशीपुर 7625 और रामनगर डिपो में 11259 लीटर का घपला सामने आया है। समायोजन करने के बाद केवल रुद्रपुर डिपो में तेल की गड़बड़ी दूर हो पाई है। परिवहन निगम के एआरएम फाइनेंस सुरेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा पूरे मामले की रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी गई है।
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मामला मुख्यालय पहुंचने पर महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने पारदर्शिता से जांच करने की बात कही है और बताया है कि दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। नैनीताल रीज़न के लगभग सात डिपो में वित्तीय वर्ष 2019-20 में शार्ट हो रहे 37317 लीटर तेल की बाज़ारी कीमत 26 लाख 12 हज़ार 190 रुपये बताई जा रही है।
रिकार्ड मिलान व भौतिक सत्यापन के बाद सबसे ज़्यादा घपला काठगोदाम डिपो में पाया गया था। इस पूरे मामले को अपने संज्ञान में लेते हुए मुख्यालय ने भी जांच के आदेश दे दिये हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि यहां से आगे किस तरह की जवाबदेही परिवहन निगम मुख्यालय को देता है।
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