हल्द्वानी: उत्तराखंड क्रिकेट दूसरे घरेलू सीजन की तैयारियों में जुट गया है। पूर्ण मान्यता मिलने के बाद क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट का संचालन करेगा। क्रिकेट को विवाद से दूर रखने के लिए और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए बीसीसीआई ने बड़ा फैसला लिया है। बीसीसीआई ने पंजीकरण कराने वाले खिलाड़ियों के लिए ऑनलाइन रिकॉर्ड में चढ़े प्रमाणपत्र की अनिवार्यता को लागू किया है। बोर्ड ने साफ किया है कि खिलाड़ियों द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा प्रमाणित दस्तावेज किसी भी सूरत में मान्य नहीं होंगे। इस संबंध में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) को गाइडलाइन भी जारी कर दी है।
गाइडलाइन मिलने के बाद सीएयू ने सोमवार को सभी जिलों की क्रिकेट एसोसिएशन को इसकी जानकारी दी। सीएयू ने एसोसिएशनों के पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि रजिस्ट्रेशन में ऑनलाइन रिकॉर्ड में चढ़े प्रमाणपत्र को ही लिया जाए।
बता दें कि खिलाड़ी ट्रायल में भाग लेने के लिए प्रधान, ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि द्वारा प्रमाणित जन्म प्रमाणपत्र बनवा लेते हैं। कई बार होता है कि इसमें सत्यता छिपाई जाती है। पूर्व के कई मामलों में जनप्रतिनिधि द्वारा प्रमाणित पत्रों में गड़बड़ी पाई गई हैं। एसोसिएशनों को खिलाड़ियों को ऑनलाइन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए समय देने को कहा है, ताकि कोई पात्र खिलाड़ी वंचित न रहे।
बता दें कि पिछले साल उत्तराखंड टीम के ट्रायल में चयनित खिलाड़ियों के दस्तावेजों में कई गड़बड़ियां हुई थी। इस कारण से कई खिलाड़ियों पर बैन भी लगा था। खिलाड़ियों पर जन्म प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाणपत्र में गड़बड़ी के कई आरोप लगे थे। इस बारे में सीएयू के सचिव पीसी वर्मा ने कहा कि बीसीसीआई ने स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है कि खिलाड़ियों से सिर्फ ऑनलाइन रिकॉर्ड में दर्ज प्रमाणपत्र स्वीकार किए जाएं। इस संबंध में जिलों की क्रिकेट एसोसिएशनों को निर्देश दे दिए हैं।