हल्द्वानी– भारत ने इंग्लैंड को टेस्ट में 4-0 से मात देकर पिछली तीन टेस्ट सीरीज में मिली कड़वी हार का बदला ले लिया है। चेन्नई में खेले गए अंतिम व पांचवे टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड को पारी और 75 रनों से हरा कर बता किया कि अब क्रिकेट में उसकी बादशाहत की शुरूआत हो गई है। विराट की टीम के इस साल प्रदर्शन ने ये तो साबित कर दिया है कि इस यंगिस्तान को पिच,टॉस और कंडिशन किसी से फर्क नही पड़ता उसके दिमाख में केवल जीत है। इस टीम का हर खिलाड़ी अपनी टीम के लिए 100% समर्पित है। भारत ने इंग्लैंड को भले ही 4-0 से हराया हो लेकिन उससे इस सीरीज को जीतने के काफी मेहनत करनी पड़ी है। फर्क केवल ये है कि भारत ने मैच में मिले मौकों को भुनाया और इस चीज में विराट का साथ युवा बल्लेबाजों ने दिया। सीरीज में कई ऐसे मौके आए जब युवा खिलाड़ियों ने अपने दम से टीम को अच्छी स्थिति पर पहुंचाया।
भारत में पिच को हमेशा ही स्पिनरों के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन इस सीरीज में तेज गेंदबाजों ने इस बात को भी झूठा साबित किया। टीम के हर खिलाड़ी का योगदान इस सीरीज जीत में अमूल्य है। जयंत यादव ,केएल राहुल और करूण नायर ने इस सीरीज में जिस परफेक्सन से बल्लेबाजी की है वो भारत के स्वर्णिम दौर के शुरू होने की ओर इशारा करती है। इस सीरीज में विराट कोहली,मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा ने सीनियर खिलाड़ी होने का फर्ज अच्छी तरह से निभाया है। तीनों खिलाड़ियों के नाम सीरीज में 2-2 शतक रहे और इसकी कॉपी युवाओं ने की। इस टीम में पैनीक नामक चीज इस सीरीज में बिल्कुल भी नही दिखी। इस बात का उदाहरण है इंग्लैंड की टीम का बड़ा स्कोर।
इंग्लैंड ने मुंबई और चेन्नई टेस्ट में 400 से ऊपर का स्कोर बनाया था और इस बड़े स्कोर का पीछा करने में टीम के युवाओं ने शानदार बल्लेबाजी की। मुंबई में जयंत के शतक और चेन्नई में करूण और राहुल की बल्लेबाजी ने दिखाया कि वो टीम में अपनी उपलब्दा दिखाने का दम रखते है। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से बताया कि टीम केवल सीनियर खिलाड़ियों के ऊपर निर्भर नही है। आपको बता दे कि राहुल और नायर को रिपलेस्मेंट के तौर पर टीम में शामिल किया गया था और उनके प्रदर्शन से पुराने खिलाडियों की जगह पर संकट आ गया है। राहुल के 200 रन पूरा ना करने के दुख को नायर ने तिहरा शतक जड़ कर पूरा कर देश को नायाब खुशी दी। आठ साल बाद टीम में वापसी कर रहे पार्थिव पटेल ने सीरीज में दो अर्धशतकिय पारी खेलकर अपने चयन को सही साबित किया। आर अश्विन और रवीद्र जड़ेजा की गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों ही टीम के लिए महत्वपूर्ण रही। दोनों ने मिलकर सीरीज में इंग्लैंड के 80% विकेट लिए । इसके साथ ही दोनों ने अपनी बल्लेबाजी से भी टीम को पिछड़ने नही दिया। इन दोनों के खेल ने ही शायद जयंत को इनकी पूरी कॉपी बनाकर तैयार किया। तेज गेंदबाज उमेश ,इशांत ,शमी और भुवी ने भी मिले हुए मौके को अच्छी तरह भुनाया। उमेश और शमी ने पूरी सीरीज में 18 विकेट लिए और स्पिनरों पर दवाब नही आने दिया। इस टीम को पता है कि कैसे टुकड़ों में ऐसा प्रदर्शन किया जाए जो टीम के लिए जीत का एसिड बने।
विराट ने सीरीज में सबसे ज्यादा 655 रना बनाए। विराट की बल्लेबाजी ने टीम को एक जीत का ट्रैक दिया है। विराट को पता है कि एक टीम को आगे ले जाने के लिए कप्तान की फॉर्म बेहद जरूरी है। भारत ने अब विराट की कप्तानी में 5 टेस्ट सीरीज जीत ली है। विराट की कप्तानी में भारतीय टीम ने इस साल 9 टेस्ट मैच जीते है और भारत दुनिया की अकेली टेस्ट टीम ने जिससे 2016 में हार का मुंह नही देखना पड़ा। विराट की टीम सितबंर 2015 से अजेय चल रही है। इंग्लैंड की मीडिया भारत की इस सीरीज जीत का श्रैय पिच को देती दिख रही है। लेकिन अगर पिच बल्लेबाजी के लिए खराब ने तो उन्होनें दो बार कैसे 400 रन बनाए। विराट की टीम को बाहरी दुनिया से कोई फर्क नही पड़ता है उसने इस सीरीज को बता दिया है कि चाहे परिस्थिया कैसी भी क्यों ना हो हर खिलाड़ी को उसे टीम के हित में मोड़ना आता है। भारत अब 18 मैचों से अजेय चल रहा है और उसका अगला टार्गेट ऑस्ट्रेलिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या 2016 की तरह यंगिस्तान का राज कायम रहता है क्या नही लेकिन टीम का उच्च खेल 2017 में भी दोहराए तो किसी को आश्चर्य नही होना चाहिए।