नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की सफल यात्रा के बाद भारत लौट आए हैं। पीएम मोदी के तीन देशों के दौरे को सफलतापूर्वक माना जा रहा है। वहीं यूएस एक्सपर्ट ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात को सफल कहा है। जिससे साफ हो जाता है कि अब दोनों देशों के बीच रिश्ते और गहरे हो जाते रहे हैं।वहीं पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात पर चीन की बौखलाहट सामने आई। इतना ही नहीं चीन के एक टिप्पणीकार ने कहा है कि चीन का विरोध करने के अमेरिका के प्रयास में अगर भारत उसका मोहरा बना तो उसे इसके ‘विनाशकारी नतीजे’ भुगतने होंगे। नीदरलैंड ने एनएसजी में भारत के जल्द-से-जल्द प्रवेश और अन्य बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के प्रयासों का मंगलवार को समर्थन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने डच समकक्ष मार्क रुत्ते की बैठक के बाद नीदरलैंड की ओर से समर्थन की घोषणा की गई। दोनों प्रधानमंत्रियों ने याद किया कि नीदरलैंड के यूरोपीय संघ (ईयू) के अध्यक्ष रहते हुए वर्ष 2004 में यूरोपीय संघ-भारत रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत हुई थी। उन्होंने भारत और ईयू के बीच व्यापक आधारवाले व्यापार और निवेश समझौते को लेकर बातचीत के जल्द ही संपन्न होने की उम्मीद जाहिर की है।
मोदी ने आर्थिक विकास के क्षेत्र में नीदरलैंड को भारत का स्वाभाविक साझेदार बताते हुए डच कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता देते हुए इसे ‘अवसरों की भूमि’ कहा। नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रुत्ते के साथ औपचारिक बैठक के बाद व्यापार, प्रौद्योगिकी और निवेश पर जोर देते हुए मोदी ने प्रमुख डच कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक की।दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी किए गये संयुक्त बयान में कहा गया है कि उन्होंने वैश्विक अप्रसार उद्देश्यों को मजबूत बनाने के अपने प्रयासों को जारी रखने का संकल्प जाहिर किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण प्रणाली में भारत के प्रवेश में नीदरलैंड की भूमिका के लिए उसे धन्यवाद दिया। दोनों नेता इस बात को लेकर सहमत हुए कि भारत की सदस्यता से परमाणु आपूतर्कर्तिा समूह (एनएसजी), वासेनार व्यवस्था और ऑस्ट्रेलिया समूह को लाभ होगा। ऑस्ट्रेलिया समूह की सदस्यता के लिए हाल में भारत के आवदेन का नीदरलैंड ने स्वागत किया है।