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पैसों की हेराफेरी को रोकने के लिए आयकर विभाग का नया फैसला


नई दिल्ली- अब आपके पर्सनल लेन-देन पर भी इनकम टैक्स विभाग की नज़र है। नोटबंदी के बाद अपने किसी मित्र या परिजन से बीस हजार रुपए या उससे अधिक का कैश गिफ्ट या फिर डोनेशन लिया है तो आपको इस बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को पूरी जानकारी देनी होगी। अगर आपका जवाब आयकर विभाग को संतुष्ट नहीं करता है तो जांच भी संभव है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर अघोषित धन के हेरफेरी को रोकने के लिए ये फैसला लिया है।

 आठ नवंबर से यानि जिस दिन से नोटबंदी लागू हुई और 30 दिसंबर के बीच अगर आपने गिफ्ट में नगदी यानि कैश लिया है तो संभल जाइए, इनकम टैक्स आपसे पूछताछ कर सकता है और पैसे के बारे में जानकारी मांग सकता है। इनकम टैक्स ने कहा है कि एक व्यक्ति से 20 हजार रुपए या उससे ज्यादा का कैश उपहार या दान में मिला तो इसकी जानकारी देनी होगी। इतना ही नहीं उपहार या दान देने वाले का पैन नंबर इनकम टैक्स को देना होगा।दरअसल नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा कराई गई मोटी रकम को लेकर आयकर विभाग ने स्वच्छ धन अभियान शुरु किया है। इसमें 18 लाख ऐसे लोगों की पहचान की गई है, जिनकी 8 नवम्बर से 30 दिसम्बर के बीच बैंक में जमा रकम उनकी टैक्स प्रोफाइल के साथ मेल नहीं खाती। ये वो लोग हैं, जिन्होंने नोटबंदी के दौरान खाते में दो लाख, पांच लाख या उससे ज्यादा की रकम जमा कराई है। अब ऐसे तमाम लोगों को अगले दस दिनों के भीतर आयकर विभाग को बताना होगा कि वाकई में उन्होने ही ये लेन-देन किया है। अगर आपको भी ऐसी सूचना मिलती है तो आप इनकम टैक्स इंडिया ई फाइलिंग डॉट जीओवी डॉट इन पर अपने पैन के सहारे लॉग इन कर सकते हैं। लॉग इन करने के बाद कम्पलायंस पर क्लिक करें उसके बाद कैश ट्रांजैक्शन पर जाएं। यहां पर आपके लेन-देन की बैंक के नाम से जानकारी दी गयी होगी, साथ ही पैन का भी जिक्र होगा। यहां आपको पुष्टि करनी है कि आपने ये लेन-देन किया है या नहीं। साथ ही पैसे का स्रोत भी बताना होगा। आयकर कानून में अभी 50 हजार रुपए या उससे ज्यादा उपहार मिलने पर कर चुकाना होता है, लेकिन नए नियमों से साफ संकेत है कि अब 20 हजार रुपए या उससे ज्यादा नकद उपहार मिलने पर आयकर विभाग को जानकारी देनी होगी।

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