हल्द्वानी- बीजेपी ने गोवा में बहुमत से दूर होने के बावज़ूद दूसरे दलों और निदर्लीय विधायकों के साथ मिलकर गोवा में सरकार बना ली है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब 16 मार्च को पर्रिकर को फ्लोर टेस्ट पास करना होगा। कांग्रेस ने गर्वनर के निर्णय को असंवेधानिक और पक्षपातपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया। मनोहर पर्रिकर की करीब ढाई साल बाद गोवा में सीएम पद के तौर पर वापसी हुई है। गोवा के ईमानदार और सरल स्वभाव के कारण उन्हें नवबंर 2014 में रक्षा मंत्रालय सौंपा गया था और उनकी जगह पारसेकर को सीएम पद सौंपा गया था पर गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन काफी ख़राब रहा।आधे दर्जन मंत्रीयों के अलावा खुद पारसेकर चुनाव हार गए।
बीजेपी को गोवा विधानसभा चुनाव 2017 में सिर्फ 13 सीट मिली और कांग्रेस ने 18 सीटें जीती पर बीजेपी ने महाराष्ट्र गोवांतक पार्टी, गोवा फारवर्ड पार्टी और तीन निदर्लीय विधायकों की मदद से ज़रुरी बहुमत जुटा लिया। मनोहर पर्रिकर के नाम पर ये लोग बीजेपी को सर्मथन देने को तैयार हुए।उनके अलावा 9 मंत्रियों ने शपथ ली.सीएम पर्रिकर का जन्म 1955 में हुआ और उन्हें आईटी में स्नातक की डिग्री ली। वो देश के पहले आईटी पास सीएम हैं। 24 अक्टूबर 2000 को पहली बार वो गोवा के सीएम बने उसके बाद अपने सरल स्वभाव और सादगी के लिए पूरे देश में जाने जाते हैं, हाफ शर्ट और चप्पल में वो गोवा की सड़को पर अपनी स्कूटी में कहीं भी दिख सकते हैं। रक्षा मंत्री रहते हुए भी वो गोवा से अपने लगाव को जगजाहिर करते रहे हैं और शायद इसी कारण गठबंधन सरकार को चलाने के लिए उनके अनुभव को देखते हुए बीजेपी संसदीय बोर्ड ने ये फैसला लिया।अब देखना है कि अगले पांच सालों तक वो गोवा में सरकार सुशासन से चला पाते हैं या नहीं?