हैदराबाद- पिछले साल हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के एक कमरे में आत्महत्या करने वाले पीएचडी के छात्र रोहित वेमुला के केस में नया मोड़ आ गया है। ज्वाइंट कलेक्टर की अगुआई वाली गुंटूर डिस्ट्रिक्ट स्क्रीनिंग कमेटी ने वेमुला के परिजनों का एससी स्टेटस रद्द करने की बात कही है। कलेक्टर द्वारा दाखिल की गई समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, रोहित वेमुला दलित नहीं थे और उन्होंने फर्जी तरीके से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाया था। कलेक्टर ने रोहित और उनकी मां, दोनों का एससी सर्टिफिकेट रद्द करने का फैसला किया है। वेमुला के परिवार को इसकी जानकारी दे दी गई है और पूछा गया है कि धोखाधड़ी से बनवाया गया फर्जी सर्टिफिकेट रद्द क्यों न किया जाए? बता दें कि 26 वर्षीय रोहित वेमुला ने पिछले साल 17 जनवरी को फंदा डालकर खुदकुशी कर ली थी। इससे पहले एबीवीपी नेता पर कथित हमला करने के कारण प्रशासन ने उन्हें अगस्त 2015 में यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से निकाल दिया था। गौरतलब है कि रोहित की खुदकुशी के बाद यूनिवर्सिटी के वीसी और प्रदेश की बीजेपी सरकार पर दलित विरोधी होने के आरोप लगे थे। वीसी के विरोध छात्रों ने लंबे समय तक प्रदर्शन किए थे।