नई दिल्ली । हमारे देश में कई ऐसी नकारा त्मक ताकत है जो भारत शांति को धर्म के नाम पर तोड़ने की कोशिश करती है। लेकिन उत्तराखंड के शांतिपुरी स्थित एक बेहद पुराना गांव है तुर्कागौरी के लोगों ने ऐसी ताकतों के मुंह में तमाचा मारा है जो भारत की एकता पर सवाल खड़े करते है। देश भर में नवरात्रि खुशी और उल्लास के साथ मनाई जा रही है। नवरात्रि के चलते देशभर में रामलीला का आयोजन हो रहा है।कुछ दिन बाद दशहरा पूरे देश में मनाया जाएगा। लेकिन देश में एक गांव भी है जहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला का मंचन करते हैं।
राम हो या रावण, सीता हो या फिर मंदोदरी रामायण के प्रत्येक किरदार में मुस्लिम समुदाय के लोग होते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग द्वारा पिछले लगभग 13 सालों से लगातार रामलीला का मंचन किया जा रहा है, हालांकि इस गांव में हिंदू समाज के लोग भी मिलकर रामलीला के मंचन में पूरा सहयोग करते हैं।
उत्तराखंड के शांतिपुरी स्थित एक बेहद पुराना गांव है तुर्कागौरी, जो पूरे देशभर सिर्फ इसलिए जाना जाता है, क्योंकि इनकी इस अनूठी पहल की वजह से भाईचारे का संदेश मिलता है। इस गांव में लगभग 13 सालों से हिंदू और मुस्लिम साथ मिलकर रामलीला का आयोजन कर रहे हैं। राम के रूप में मुस्लिम युवक तो लक्ष्मण के रूप में हिंदू समुदाय के लोग एक साथ मंचन करते हैं।
एकता और सौहार्द की मिसाल इस गांव में पिछले कई सालों से तुर्कागौरी के रामलीला कमेटी के अध्यक्ष भी सिर्फ मुस्लिम समाज से ही बन रहे हैं। गांव का प्रत्येक सदस्य चाहता है कि रामलीला का मंचन कराने की जिम्मेदारी सिर्फ उन्हें ही मिले।