हल्द्वानी: विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। राजनीतिक दल फिलहाल रैलियों के माध्यम से जनता के बीच अपने विजन को लेकर पहुंच रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के बाद आप भी उत्तराखंड के चुनावों में अपनी रणनीतियों पर काम कर रही है। टिकट बंटवारे को लेकर सबसे ज्यादा सिर दर्द बना हुआ है। सभी सीटों पर एक या दो कार्यकर्ताओं ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। कई विधानसभा सीट पर तो लोगों से संपर्क भी शुरू हो गया है। लंबे वक्त से दल की सेवा में जुटे कार्यकर्ता टिकट की आस लगाए बैठे हैं।
इस बार खबर भाजपा खेमे से है। कालाढूंगी विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ कही जाती है। इस सीट से भाजपा के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत विधायक हैं। वही उनके पुत्र विकास भगत भी क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। इस सीट से भाजपा नेता गजराज सिंह बिष्ट ने भी ताल ठोक दी है। इस दावेदारी के बाद कालाढूंगी विधानसभा चुनाव के समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।
कालाढूंगी के नयागांव में हुई एक प्रेस वार्ता में उन्होंने अपनी दावेदारी पेश की और कहा कि वह 2002 से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। वह कालाढूंगी विधानसभा की जनता के संपर्क में रहे हैं और समस्या का निस्तारण उनकी प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा कि 20 साल सें अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं और उम्मीद है कि पार्टी उन्हे मौका देगी। कोटाबाग में डिग्री कॉलेज का निर्माण, कालाढूंगी के पर्यटक स्थलों को पहचान दिलाने, तहसील में एसडीएम की स्थाई तैनाती के मुद्दों पर उन्होंने प्रकाश डाला।
विधायक बंशीधर भगत द्वारा अपने पुत्र के लिए इस सीट से टिकट मांगने के सवाल पर बिष्ट ने कहा कि वह मेरे भी पितातुल्य हैं। वह मेरे लिए भी टिकट मांग रहे हों…ये भी हो सकता है। बिष्ट द्वारा दावेदारी पेश करने के बाद बंशीधर भगत और अन्य लोग टिकट मिलने की उम्मीद पर बैठे हैं उनके बीच हलचल बढ़ रही है।
गजराज बिष्ट ने इससे पहले कभी सार्वजनिक रूप कालाढूंगी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर नहीं की थी। हालांकि वह भाजपा में काफी सक्रिय हैं। उन्हें साल 2018 में दर्जा मंत्री भी बनाया गया था। गजराज की दावेदारी पर कालाढूंगी सीट से विधायक और कैबिनेट मंत्री बंशीधर ने कहा कि भाजपा में लोकतंत्र सर्वोपरि है। कार्यकर्ता टिकट की दावेदारी पेश कर सकता है और फैसला हाईकमान को करना है। जो फैसला किया जाएगा, उसका स्वागत कर पार्टी को जीताने की कोशिश हर कार्यकर्ता करेगा।