देहरादून: चमोली में आई आपदा के बाद 204 लोग लापता हो गए। करीब 43 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। रविवार को टनल से तीन व कुल पांच शव बरामद होने की जानकारी सामने आ रही है। अभी भी 30 से ज्यादा लोग जो सुरंग में फंसे हैं उन्हें निरकालने का प्रयास किया जा रहा है। रेस्क्यू पिछले एक हफ्ते से जारी है। दूसरे राज्यों के कई लोग चमोली के पावर प्रोजेक्ट में कार्य कर रहे थे और लापता है।
परिजनों को उनका इंतजार है और इसके लिए वह चमोली पहुंचे। कई लोग वापस लौट गए हैं। कइयों को अभी विश्वास है कि चमत्कार जरूर होगा। रविवार को ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आई आपदा से करीब 1500 करोड़ का नुकसान हुआ है। दूसरी ओर कई ग्रामीण इलाकों के संपर्क भी टूट गया है। हेलीकॉप्टर के माध्यम से उन्हें जरूरत की सामग्री पहुंचाई जा रही है।
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ऋषि गंगा की बाढ़ में लापता बाहरी प्रदेशों के लोगों के परिजन मायूस और हताश होकर अब अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। जो अभी भी यहां रुके हुए हैं उनको न रात में नींद आ रही है और न खाने की इच्छा हो रही है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन और ठहरने के बाद घर को लौट जाएंगे। बैराज साइट, रैणी और सुरंग के समीप बैठकर धौली गंगा को निहारते दिखाई दे रहे थे। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने उन्हें ढांढस बंधाया और रेस्क्यू कार्य में तेजी का आश्वासन दिया।
आपदा के बाद नीती घाटी के अलग-थलग पड़े 13 गांवों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। मलारी हाईवे के ध्वस्त हो जाने के बाद से गांवों का संपर्क अभी भी देश-दुनिया से कटा है। वह अन्य गांवों तक नहीं जा पा रहे हैं। वहीं गांव के अंदर आने जाने के लिए उनके वाहनों में ईधन नहीं है। ग्रामीणों अब प्रशासन की मदद के भरोसे ही बैठे हैं।
आपदा के वक्त मलारी हाईवे रैणी गांव के पास 90 मीटर मोटर पुल बह गया था। तब से नीती घाटी के 13 गांवों का संपर्क कटा है। ग्रामीणों की आवाजाही के लिए यह सड़क ही एकमात्र साधन थी। सड़क न होने से नीती घाटी में कई ग्रामीणों के वाहन भी फंसे हैं।
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