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देवभूमि की तीन बेटियों ने पेश की मिसाल, पिता का अंतिम संस्कार कर निभाया बेटे का फर्ज

खटीमा: समाज में परंपराओं को काफी मान्यता दी जाती है। लेकिन देवभूमि में समय-समय पर कुछ रूढ़ीवादी परंपराओं को तोड़कर युवाओं ने मिसाल भी पेश की है। ऐसी ही एक बानगी खटीमा से सामने आई है। जहां पर तीन बेटियों ने एक बेटा होने का फर्ज निभाया है। इन बेटियों ने पिता के निधन के बाद एक बेटा बनकर उनका अंतिम संस्कार किया। इस घटना के बाद हर तरफ बेटियों की दाद दी जा रही है।

दरअसल खटीमा के खेतलसंडा गांव के निवासी पंडित दयाकृष्ण जोशी दयालु गुरु का शुक्रवार की सुबह हृदय गति रुकने के कारण निधन हो गया। वह पूजा पाठ कर परिवार का भरण पोषण करते थे और समाजसेवी भी थे। उनकी तीन बेटियां हैं। दयालु गुरु वर्तमान में परिवार के साथ डिग्री कॉलेज रोड स्थित किराए के घर में रह रहे थे। वह रोज सुबह 4:00 बजे उठकर घर पर पूजा पाठ करते थे।

इसके बाद आपने यजमानों के यहां पूजा पाठ करने के लिए चले जाते थे। लेकिन शुक्रवार को ऐसा नहीं हुआ। वह 5:00 बजे तक नहीं उठे तो पत्नी हेमा ने उन्हें उठाने का पुरजोर प्रयास किया। जब वे तभी नहीं उठे तो परिवारजनों में हड़कंप मच गया। तब आनन-फानन में उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

ग्रामीण बताते हैं कि दयालु गुरु क्षेत्र के हर वासी के सुख दुख में उनके साथ खड़े रहते थे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी ने भी घर पहुंचकर शोक प्रकट किया। इस दौरान उनकी तीनों बेटियों ने पिता के निधन के बाद विधि विधान के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। एक तरफ बेटियों ने बेटा होने का फर्ज निभाया तो वहीं सदियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने के बाद एक मिसाल पेश की है।

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