हल्द्वानी: पहले से ही करोड़ों के घाटे में चल रहे रोडवेज को दिक्कत एक नहीं कई सारी हैं। अब बस चालकों व परिचालकों की कमी भी होने लगी है। रोडवेज के पास बसें हैं मगर फिर भी स्टाफ की कमी से हर महीने करीब 200 बसें रूट पर नहीं जा पाती। हल्द्वानी डिपो की ही 100 गाड़ियां इसमें शामिल हैं।
नैनीताल रीजन की बात करें तो आठ डिपो में कुल 395 बसों के लिए 841 चालकों की जरूरत है। ये परिवहन विभाग का फॉर्मूला कहता है। लेकिन निगम अगर नियमित, संविदा, विशेष श्रेणी के सभी चालक मिला भी ले तो भी केवल 755 चालक ही हैं। नैनीताल रीजन के आठ डिपो में 86 चालकों के पद खाली हैं।
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यही प्रमुख कारण है कि कई रूट पर बसें जा नहीं पाती। जिससे घाटा बढ़ता रहता है। इसके अलावा कर्मचारी संगठनों की बैठक, आंदोलन और स्टाफ के अवकाश के कारण भी परेशानी होती है। पिछले साढ़े तीन साल से मृतक आश्रित कोर्ट में भर्ती नहीं होने के कारण दिक्कत और बढ़ रही है। डिपोवार ब्योरा देने के बावजूद मुख्यालय से कोई मदद नहीं मिली।
इसके अलावा रोडवेज निगम की व्यवस्था के हिसाब से लोकल रूट पर भले ही एक चालक पूरे दिन ड्यूटी कर ले मगर दिल्ली जैसे लंबे रूटों से लौटने के बाद ड्राइवर को वन डे ड्यूटी रेस्ट देना अनिवार्य होता है। साथ ही लंबे रूटों पर दो चालक भेजे जाते हैं।
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हालांकि हफ्ते में एक दिन का अवकाश हर चालक के लिए होता है। मगर इसमें भी हाल ही में मुख्यालय ने आदेश दिए थे कि चालकों का वीकली ऑफ पेंडिंग न रखा जाए। वरना एक साथ कई चालक अवकाश ले लेते हैं और निगम को घाटा उठाना पड़ता है।
परिचालकों के लिहाज से भी नैनीताल रीजन के आठ डिपो में दिक्कतें हैं। 50 पद लंबे समय से खाली हैं। दूसरी बात ये है कि ई-टिकट मशीन खराब होने के कारण कई परिचालक रूट पर नहीं जाना चाहते। जिससे फिर घाटा होता है। आरएम कुमाऊं यशपाल सिंह के मुताबिक चालक के अलावा परिचालकों की कमी की रिपोर्ट मुख्यालय तक भेज दी गई है।
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