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उत्तराखंड के इस जिले में चमकी बुखार का अलर्ट जारी, बिहार में अब तक 135 बच्चों की मौत


हल्द्वानीः बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) का कहर जारी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में चमकी बुखार को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। अभी तक जिले में किसी भी बच्चे में इस बीमारी के लक्ष्रण नहीं मिले हैं लेकिन बिहार में इस बीमारी से हो रही बच्चों की मौत के चलते स्वास्थ विभाग ने बुधवार को पूरे जिले में अलर्ट जारी कर दिया है। बता दें कि प्रभारी सीएमओ डॉ. उदयशंकर का कहना है कि चमकी दिमागी बुखार है। इस बुखार का शिकार एक वर्ष से लेकर करीब 10 साल तक के बच्चे होते हैं। उदयशंकर का कहना है  कि चमकी बुखार का जिले में अभी तक कोई मरीज नहीं मिला है, लेकिन सभी लोगों से अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखने व कोई भी लक्षण मिलने पर तुरंत अस्पताल पहुंचने को कहा गया है। बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) का कहर जारी है, मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के कारण मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेष प्रसाद सिंह ने कहा कि चमकी बुखार से अब तक मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 135 हो गया है। बुखार से मरने वालों की सख्यां दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जारी है। बता दें कि सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 117 बच्चों की मौत हो गई। 12 मौतें मोतिहारी और 6 मौतें बेगूसराय में हुई हैं।

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चमकी बुखार से मरने बच्चों को परिवारवालों को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 4-4 लाख रुपए सहायता राशि देने की घोषणा की है। डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है। बरसात से पहले ये बीमारी हर साल बिहार में कहर बरपाती है। इसकी पूरी जांच की जा रही है।

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दरअसल गर्मियों के दौरान इस इलाके के गरीब परिवारों से संबंधित बच्चों को आमतौर पर नाश्ते के लिए सुबह से ही लीची खाने को दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह फल बच्चों में घातक मेटाबॉलिक बीमारी पैदा करता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया इंसेफेलोपैथी कहा जाता है। लीची में मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (MCPG), नाम का एक केमिकल भी पाया जाता है। जब शरीर में देर तक भूखे रहने और पोषण की कमी के कारण शरीर में शुगर लेवल कम हो जाता है तो यह मस्तिष्क को प्रभावित करता है। बिहार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को खाली पेट लीची न खिलाएं और आधा पका हुआ या बिना लीची वाला भोजन ही करें।

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