नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी46 से रडार इमेजिंग अर्थ सैटेलाइट (रिसैट-2बी) लांच कर दिया है। इसरो के मुताबिक, पीएसएलवी राकेट ने रिसैट-2बी को लेकर सुबह 5.27 मिनट पर उड़ान भरी। सैटेलाइट के सफल लांच होने बाद भारत की सुरक्षा और अधिक मजबूत हो जाएगी।
615 किलोग्राम का यह सैटेलाइट आकाश में भारत की खुफिया क्षमताओं को दोगुना करने में कारगर साबित होगा। इससे भारतीय सुरक्षाबलों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी रखने में काफी सहायता होगी। इस सैटेलाइट से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी शिविरों की गतिविधियों पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी। इसके अलावा यह सैटेलाइट खुफिया निगरानी, कृषि, वन और आपदा प्रबंधन सहयोग जैसे क्षेत्रों में भी मदद करेगा।
इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने लांच के बाद कहा, “मैं यह घोषणा करते हुए बहुत खुश हूं कि पीएसएलवी-सी46 ने आरआईएसएटी-2बी को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है।” उन्होंने कहा कि इस मिशन के साथ उड़ान भरने के साथ ही पीएसएलवी रॉकेट ने 50 टन वजन की सीमा को पार कर दिया है। सिवान के अनुसार, पीएसएलवी रॉकेट ने कक्षा में 350 उपग्रह स्थापित कर दिए हैं। सिवान ने कहा, “रॉकेट में पिगी बैक पेलोड, स्वदेश में विकसित विक्रम कंप्यूटर चिप थे जो भविष्य के रॉकेट में उपयोग किए जाएंगे।” सिवान के अनुसार, प्रमुख मिशन चंद्रयान-2 या दूसरा चंद्र मिशन होगा जो इसी साल 9-16 जुलाई को हो सकता है
बता दें कि यह सैटेलाइट प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा। इस सैटेलाइट के जरिए अंतरिक्ष से जमीन पर 3 फीट की ऊंचाई तक की उम्दा तस्वीरें ली जा सकती हैं। इस सीरीज के सैटेलाइट को सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने के लिए 26/11 मुंबई हमलों के बाद विकसित किया गया था।
इसरो के मुताबिक बादल रहने पर रेगुलर रिमोट सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग सैटेलाइट जमीन पर मौजूद चीजों की स्थिति ढंग से नहीं दिखा पाते। सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) इस कमी को पूरा करेगा। यह हर मौसम में चाहे रात हो, बादल हो या बारिश हो, ऑब्जेक्ट की सही तस्वीर जारी करेगा। इससे आपदा राहत में और सुरक्षाबलों को काफी मदद मिलेगी।