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उत्तराखंड के वैज्ञानिक नमन और एकता की कहानी, पढ़ाई, शादी और सफल चंद्रयान मिशन

Chandrayan-3 Mission: Uttarakhand: Naman and Ekta: चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त को सफल हुआ था लेकिन उसका जश्न भारत में अभी भी बन रहा है। चांद पर भारतीय वैज्ञानिकों की नई कामयाबी पर पूरा विश्व बधाई दे रहा है। उत्तराखंड को भी बधाई मिल रही है क्योंकि इस मिशन में शामिल कई वैज्ञानिकों का नाता देवभूमि से हैं।

दीपक अग्रवाल और उनकी पत्नी पायल अग्रवाल के बाद एक वैज्ञानिक नमन और उनकी पत्नी एकता की कहानी भी सामने आई है। इसके बाद से धर्मनगरी के धीरवाली निवासी इस दंपत्ति को सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई मिल रही है। इसरो में वैज्ञानिक नमन चौहान और उनकी वैज्ञानिक पत्नी भी चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा थे। सभी वैज्ञानिकों की तरह दोनों अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि वो इस मिशन का हिस्सा रहे।

इसरो में वैज्ञानिक नमन चौहान ने 2007 में बीएचईएल यूनिट हरिद्वार में स्थित केंद्रीय विद्यालय से इंटर किया। इसके बाद पंतनगर यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रानिक एंड कम्यूनिकेशन ब्रांच में उन्हें दाखिला मिल गया। पीसीएस में चयन के बाद उन्होंने औरंगाबाद, हैदराबाद आदि जगहों पर जूनियर इंजीनियर के पद नौकरी की। जबकि गेट परीक्षा में नमन चौहान ने 198 रैंक हासिल की थी। उन्होंने इसके बाद एमटेक किया।

इसी दौरान उनका इसरो में चयन हुआ। वो इन दिनों बैंगलोर में है। जानकारी के मुताबिक नमन ने चंद्रयान मिशन 2 के समय इसरो ज्वाइन किया लेकिन वो टीम का हिस्सा नहीं थे। लेकिन चंद्रयान 3 में काम करने का मौका मिला। मिशन के सफल होने के बाद वो काफी खुश हैं। नमन साल 2016 से इसरो में हैं।

वैज्ञानिक एकता की बात करें तो उन्होंने बरेली के कांति कपूर विद्या मंदिर से हाईसकूल और इंटरमीडिएट पास किया। स्कूल के बाद एसआरएमएस कॉलेज से बीटेक किया। इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन से बीटेक के बाद एकता ने एमटेक में नमन की तरह की बीएलएफआई लिया। साल 2017 में एकता को भी इसरो में नौकरी मिल गई। दोनों ने साथ में ही एमटेक किया था।

वैज्ञानिक दंपत्ति ने अपनी कामयाबी का श्रेय परिवार को दिया है। क्योंकि पढ़ाई व नौकरी के दौरान उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन परिवार ने हिम्मत को बांधे रखा था। इसी वजह से नमन और एकता को इसरो जैसी संस्थान में काम करने का मौका मिला।

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