हल्द्वानीः होली का त्योहार पूरे भारत में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। होली एक रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली के त्योहार में सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर एक दूसरे से गले मिलते हैं। प्यार और रंगों से भरा यह त्योहार हर धर्म और जाति के बंधन खोलकर भाई चारे का संदेश देता है। इस बार होली का त्योहार 21 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं 20 मार्च को होली जलाई जाएगी। हिन्दू धर्मानुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। लेकिन इस बार भद्रा के चलते होलिका दहन रात नौ बजे से होगा। भद्रा के चलते होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। इस बार 20 मार्च बुधवार को भद्रा काल सुबह 10 बजकर 45 मिनट से रात में 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। भद्रा के चलते होलिका दहन रात 9 बजे होगा। इस बार होलिका पूजन सुबह 10.45 बजे से पहले करना शुभ होगा। होलिका दहन का कार्य रात 9 बजे से शुरू हो जाएगा और रात 12 बजे तक चलता रहेगा। होली के अगले दिन धुलण्डी का पर्व मातंग योग में मनाया जाएगा। 14 मार्च से होलाष्टक लग गयें हैं, ये आठ दिनों तक रहते हैं और इस समय किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद की भगवान के प्रति भक्ति को देखकर बहुत परेशान था। उसने प्रहलाद का ध्यान ईश्वर से हटाने के लिए प्रहलाद को जान से मारने का फैसला किया और अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। कहतें है कि होलिका के पास एक शाल था जिससे वो कभी आग से नहीं जल सकती थी। जब होलिका ने अपनी गोद में प्रहलाद को रखा और वह आग में बैठी तब भक्त प्रहलाद ने भगवान विष्णु का जप किया, जिसकी वजह से भक्त प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका जलकर राख हो गई| इसकी वजह से हम इस दिन को बुराई के नष्ट होने का प्रतीक मानते हैं|