नैनीताल: नैनीताल के डी.एस.बी. परिसर में स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय की जंतु विज्ञान विभाग की शोध छात्रा दीक्षा आर्य ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस वर्ष पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उन्हें यह प्रतिष्ठित उपाधि कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 19वें दीक्षांत समारोह में प्रदान की गई। दीक्षा आर्य का शोध कार्य विशेष रूप से परागणकर्ताओं, जैसे मधुमक्खियाँ, तितलियाँ और अन्य कीटों, के संरक्षण पर आधारित है।
इनकी शोध का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि ये छोटे जीव पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कैसे वे फसलों की उपज को बढ़ाने में सहायक होते हैं। परागणकर्ता न केवल प्राकृतिक जैव विविधता के संरक्षण में अहम हैं, बल्कि वे कृषि उत्पादन में भी सीधा योगदान देते हैं। इनके बिना, कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
दीक्षा आर्य के शोध कार्य ने यह स्पष्ट किया है कि यदि इन महत्वपूर्ण जीवों का संरक्षण किया जाए तो न केवल पर्यावरण संतुलित रहेगा, बल्कि कृषि क्षेत्र में भी स्थिरता और वृद्धि लाई जा सकती है। उनका शोध कृषि और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक मजबूत कड़ी स्थापित करता है और इससे नई दिशा मिल सकती है।
दीक्षा आर्य की यह उपलब्धि न केवल कुमाऊं विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह उनके समर्पण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की भी पुष्टि है। उनके शोध कार्य से भविष्य में कृषि और पर्यावरण संरक्षण के लिए न केवल नए रास्ते खुलेंगे, बल्कि समाज को भी इससे लाभ होगा।