हल्द्वानीः जहाँ ठंड ने लोगों को परेशान किया हुआ है वही बारिश का ना होना प्रदेश के किसानों के लिए आफत के संकेत दे रहा है। इस बार शीतकालीन वर्षा में 57 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है, जिससे उत्तराखंड के किसानों की फसल को काफी प्रभाव पड़ा है । जहाँ दिसंबर और जनवरी तक आमतौर पर 31.3 फीसदी बारिश मानी जा रही थी।
रामनगर:अंडे नहीं लाया पति तो गुस्से में पत्नी ने खुद को लगा दी आग, जानें पूरा मामला
पर इस बार जो देखने को मिला वो एकदम अलग ही था। अबकि बार मात्र 13.4 फीसदी बारिश ही का आंकडा सामने आया है । बारिश कम होने से आलू उत्पाद में सबसे अधिक कमी आई है । दरअसल जनवरी के अंत और फरवरी के शुरू आती दिनों में आलू की फसल सब्जी मंडी में आने लगती है । बारिश आलू के लिए इस लिए भी जरूरी है । क्योंकि बारिश के पानी से आलू अधिक विकसित होता है । पर इस बार आलू उत्पाद में काफी गिरावट आई है । अनुमान के मुताबिक इसबार प्रति हेक्टेयर में 5 क्विंटल की कमी मानी जा रही है । नैनीताल जिले में इस बार सबसे कम बारिश देखी गई है । शोध वैज्ञानिक कुमाऊं विवि भूगोल विभाग के प्रोफेसर पीसी तिवारी ने बताया कि ग्लोबल वार्मिग के प्रभाव के कारण जून से जुलाई तक 1 घंटे में 40 एमएल तक बारिश रिकार्ड की गई । अध्ययन का मुख्य कारण गांवों का सशक्तिकरण है ।ग्रामिणों को आत्मनिर्भर होना चाहिए । वह खुद डेटा विश्लेषण कर पता लगाएं कि कौन सी खेती किस मौसम में करें। साथ ही जल संरक्षण के लिए तैयार रहने की जरूरत है।