नई दिल्ली: जिंदगी में कुछ पल ऐसे होते है जो व्यक्ति कभी नहीं भूलता है। किसी भी परिवार में नन्हे मेहमान के आने की खुशी का कोई मोल नहीं होता है। ऐसी ही खुशी के आने से पहले एक परिवार ने अपना बेटा खोया है। परिवार नन्हे मेहमान के आने का 10 साल से इंतजार कर रहा था। खुशी का ये इंतजार मातम के साथ खत्म हुआ।
रविवार को सुंदरबनी में एलओसी पर हुए बैट हमले में दो अन्य जवानों के साथ शहीद लांस नायक रंजीत सिंह का परिवार ईश्वर से लाखों सवाल पूछ रहा है। मंगलवार को उनके अंतिम संस्कार से पहले उन्हें पुत्री की प्राप्ती हुई। इस घटना ने पूरे देश को भावुक किया। बता दें कि रंजीत सिंह का पार्थिव शरीर सोमवार को देरी से उसके गांव सुलिगाम पहुंचा तो परिजनों ने एक दिन बाद मंगलवार को अंतिम संस्कार का फैसला किया।रंजीत की 10 साल पहले शिमू देवी से शादी हुई थी। दोनों ईश्वर से संतान की दुआ मांग रहे थे। बच्चे के आने से पहले घर पर खुशी का माहौल था। परिजन बताते हैं कि रंजीत बच्ची के जन्म से पहले छुट्टी लेकर घर आने वाला था।
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खबर के मुताबिक मंगलवार को शहीद के अंतिम संस्कार से पहले उसकी पत्नी शिमू देवी ने सुबह पांच बजे बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद दोपहर 12 बजे शिमू पति के अंतिम दर्शन के लिए नवजात बच्ची के साथ एंबुलेंस से अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंची। जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को उसके भाई ने मुखाग्नि दी। इससे पहले भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों, विधायक रामबन और स्थानीय लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।
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