नई दिल्लीः जहां एक ओर देश तरक्की की नई बुलंदियों को छू रहा है। वहीं देश की स्वास्थय सेवाऐं चरमरा चुकी हैं। स्वास्थ्य का अधिकार जनता का सबसे पहला अधिकार होतो है लेकिन देश में बेहतर सवास्थ्य सेवाओं के अभाव में रोजाना हजारों लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं सरकारी अस्पताल का तो भगवान ही मालिक है। ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला नीमगांव में। जहां एक पिता अपने मासूम बेटे की लाश को कंधे पर लेकर अस्पताल में सिर्फ डेथ सर्टिफिकेट गुहार लगाता रहा। लेकिन अस्पताल को उसपर जरा भी तरस नहीं आया।
बता दें कि थाना क्षेत्र नीमगांव के ग्राम रमुआपुर निवासी दिनेश कुमार के दो साल के बेटे दिव्यांशु को तेज बुखार के बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान बुधवार को दिव्यांशु की मौत हो गई। इसके बाद जब बेटे के शव को ले जाने की बारी आई तो उसे बताया गया कि डेथ सर्टिफिकेट बनवाना जरूरी है। बिना डेथ सर्टिफिकेट के अस्पताल से छुट्टी नहीं मिलेगी। दिनेश डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए अस्पताल में दोड़ता रहा। वह लोगों और अस्पताल स्टाफ से मदद मांगता रहा भी लेकिन किसी ने उसकी मदद के लिए हाथ नही बढ़ाया। काफी कठोर परिश्रम के बाद कहीं जाकर बेटे का डेथ सर्टिफिकेट बन पाया और वह बेटे के शव को घर ले जा सका।