देश में कोरोना पूरी तरह से पैर पसार चुका है। लॉकडाउन के चलते देश को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। शायद ही किसी ने कल्पना की थी कि एक बीमारी पूरे देश को रोक देगी। लॉकडाउन तीन 17 मई को खत्म होने वाला है और लॉकडाउन 4 कैसा होगा इस बारे में पीएम नरेंद्र मोदी ने HINT दे दी है। जल्द देशवासियों को इसके बारे में बताया जाएगा।
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा की गई 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई थी। इस बारे में आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विस्तार से ब्योरा दिया। वित्ता मंत्री ने बताया कि कैसे अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का इस्तेमाल होगा। उनकी सबसे बड़ी घोषणा वित्त वर्ष 2019-20 (असेसमेंट ईयर 2020-21) को लेकर की गई। अब पर्सनल इनकम टैक्स रिटर्न और अन्य रिटर्न की डेडलाइन को 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। वहीं वेतन को छोड़ कर दूसरे प्रकार के भुगतान पर टीडीएस, टीसीएस की दरों में 31 मार्च 2021 तक 25 प्रतिशत की कटौती की गई है। इससे इकाइयों के हाथ में खर्च करने को 50,000 करोड़ रुपये की राशि आएगी।
इसके अलावा विवादों के निपटान के लिए लाई गई ‘विवाद से विश्वास’ योजना का लाभ भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत लंबित विवादों के निपटारे की चाह रखने वाले करदाता अब 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सभी धर्मार्थ न्यासों, गैर-कॉरपोरेट कारोबारों, पेशेवरों, एलएलपी फर्मों, भागीदारी फर्मों सहित को उनका लंबित रिफंड जल्द किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार पांच लाख रुपये तक के 18,000 करोड़ रुपए तक रिफंड करदाताओ को कर चुकी है। यह रिफंड 14 लाख करदाताओं को किया गया।
सरकार ने अब 15 हजार रुपये से कम मासिक सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को तीन महीने तक PF पर मिलने वाली राहत को बढ़ाकर 6 महीने तक के लिए कर दिया है। प्रधानमंत्री पहले ही घोषणा कर चुके थे कि ऐसे कर्मचारियों का तीन महीने का पीएफ का अंशदान (12 प्रतिशत नियोक्ता का और 12 प्रतिशत कर्मचारियों) का भुगतान EPFO को सरकार करेगी।
इस स्कीम को अगस्त तक के लिए बढ़ाया गया है। 15 हजार से ज्यादा तनख्वाह पाने वालों के लिए पीएफ का योगदान 24 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। यानी कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को 12 प्रतिशत के बजाय 10-10 प्रतिशत अंशदान EPFO को देना होगा। सरकार के इस ऐलान का फायदा सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी हैं और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है। हालांकि, केंद्रीय कर्मचारियों और सार्वजिनक उपक्रमों में काम करने वालों पर यह लागू नहीं होगा।