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विज्ञान का ऐसा चमत्कार मां को मिल गया खोया हुआ बेटा, जानें पूरी खबर


नई दिल्ली: अब इसे चमत्कार कहें  या किसी  कल्पना भरे सपने का यथावत होना पर सचमुच विज्ञान  के पास आज हर समस्या का उपाय है । अणु से परमाणु क्या अदृश्य से अवचेतन मन में तक छुपी हर हलचल के हाजिरजवाब बन चुके विज्ञान के लिए कुछ असम्भव नहीं, यह आधुनिक विज्ञान बार -बार  हर क्षेत्र में साबित करते आ रहा है। एक वरदान के रूप में विज्ञान के विस्तार ने हमेशा ही हम मनुष्यों को एक श्रेष्ठ योनी का अनुभव कराया है।

हम सभी ने सेरोगेसी के बारे में पहले भी सुना है।जिस दंपत्ति को किसी भी कारणवश संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती है उनके लिए सरोगेसी किसी वरदान से कम नहीं है। आमिर खान, तुषार कपूर और करन जोहर कुछ ऐसे बड़े नाम हैं जिन्होंने सरोगेसी का सहारा लेकर संतान प्राप्ति की है।आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में एक साल में सरोगेसी के करीब 500 मामले सामने आते हैं लेकिन इनमे से 300 सिर्फ भारत में ही होते हैं।तो  एक बार पुन:  इस  वैज्ञानिक तरीके से दो मासूम जुड़वा बच्चों का जन्म  हुआ पर यह बात इस बार सिर्फ सेरोगेसी की नहीं है। ये मामला अनोखा है। इससे एक ऐसी मां की भवनाएं जुड़ी थीं, जो किसी भी कीमत पर अपने बेटे को वापस पाना चाहती थी।यह दिल को गहराई तक छू जाने  वाली खबर है ,दो साल पहले कैंसर की वजह से अपने बेटे को खोने वाली एक मां  की जिसने अपनी कोशिशों से उसे ‘पुनर्जीवित’ कर दिया है।

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पुणे की रहने वाली 49 वर्षीय टीचर राजश्री पाटिल ने एक सरोगेट मदर की मदद से अपने बेटे प्रथमेश के जुड़वा बच्चों को जन्म दिलाया है।ये सब कोई चमत्कार नहीं बल्कि विज्ञान का कमाल है, जिसने एक मां के निराश चेहरे को फिर से  आशा की किरण दे कर मुस्कुराना सिखा दिया।दरअसल,प्रथमेश के जुड़वा बच्चों का जन्म उनके शुक्राणुओं की मदद से हुआ है, जिन्हें उनकी मौत से पहले सुरक्षित रख लिया गया था।पुणे के सिंघड कॉलेज से आगे की पढ़ाई के लिए राजश्री के बेटे प्रथमेश साल 2010 में जर्मनी चले गए थे।साल 2013 में पता चला  कि उन्हें ख़तरनाक स्तर पर ब्रेन ट्यूमर  है। उस दौरान उनके वीर्य को संरक्षित कर लिया गया था। इस वीर्य का सरोगेसी में इस्तेमाल किया गया और 35 वर्षीय सरोगेट मदर ने एक बच्ची और एक बच्चे को जन्म दिया।राजश्री पाटिल बेहद खुश हैं।खुशी जाहिर करते हुए वे कहती हैं कि “मुझे मेरा प्रथमेश वापस मिल गया है। मैं अपने बेटे के बहुत क़रीब थी। वह पढ़ने में बहुत तेज़ था और जर्मनी से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहा था।उसी दौरान उसे चौथी स्टेज का कैंसर होने का पता चला। डॉक्टरों ने प्रथमेश को कीमोथेरेपी का इलाज शुरू करने से पहले वीर्य संरक्षित करने को कहा।”

प्रथमेश ने अपनी मां और बहन को अपनी मौत के बाद अपने वीर्य का नमूना इस्तेमाल करने के लिए नामित किया था। राजश्री को तब इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि इसकी मदद से वो ‘अपने बेटे को वापस पा’ सकती हैं।

मृत बेटे के संरक्षित वीर्य को एक ग़ैर-पारिवारिक दाता के अंडाणुओं से मेल कराया गया।मेल कराने के बाद इसे एक क़रीबी रिश्तेदार के गर्भ में डाल दिया गया। बेटे के संरक्षित वीर्य का इस्तेमाल राजश्री ने सरोगेट प्रेग्नेंसी में किया प्रथमेश के बच्चों का12 फ़रवरी को जन्म हुआ। दादी राजश्री ने बच्चों को भगवान का आशीर्वाद बताते हुए पोते का नाम बेटे प्रथमेश के नाम पर ही रखा और बेटी का नाम प्रीशा रखा। आँखिरकार उन्हें खुशहाल जीवन जीने की वजह मिल गयी है।

 

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