नई दिल्लीः कोरोना के वजह से न जाने कितने लोगों की जान चले गई है। इस माहामरी के वजह से लोग काफी डरे हुए हैं। कोरोना के चलते कई लोगों की नौकरी चली गई है, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस माहामारी से बचने के लिए अपनी नौकरी को दाव पर लगा रहे हैं। और लगाएं भी क्यों न,नौकरी तो दोबारा मिल जाएगी लेकिन जिदंगी दोबार नहीं मिल पाएगी। ऐसा ही कुछ देखने को मिला मेरठ में। जहां रोडवेज के चालक और परिचालकों ने कोरोना के चलते अधिकारियों से साफ-साफ कह दिया है कि वे डयूटी पर नहीं आएंगे। इसके लिए चाहे तो उनकी संविदा समाप्त कर दी जाए।
बता दें कि रोडवेज में इस समय ज्दातर चालक और परिचालक संविदा पर काम कर रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते रोडवेज बसों का संचालन चालकों के काम पे न आने के कारण नहीं हो पा रहा है। चालकों को कोरोना संक्रमित होना का डर बना हुआ है। डिपो प्रभारी बीपी सिंह का कहना है कि कोरोना के चलते डिपो में संविदा पद पर कार्यरत ज्दातर चालक और परिचालक ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। इसके वजह से रोजाना 40 से 50 प्रतिशत बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। मेरठ डिपो में नियमित कुल 112 एवं संविदा के 200 से अधिक चालक हैं। इसमें से ज्यादातर नियमित चालक प्रतिदिन ड्यूटी पर आ रहे हैं। लेकिन संविदा के चालक लॉकडाउन से अब तक ड्यूटी पर नहीं आए हैं। चालकों के न आने के चलते बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। इससे निगम की पचास से अधिक बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं। बसों का संचालन न होने से निगम को रोजाना लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
डिपो प्रभारी का कहना है कि सभी चालकों को ड्यूटी पर बुलाया जा रहा है। लकिन इसके बाद भी वह आने को राजी नहीं है। उनका कहना है कि अगर अनुपस्थित चालक एक जुलाई तक ड्यूटी पर नहीं आए तो सभी की संविदा समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। परिचालक भी कोरोना के डर से ड्यूटी पर आने के लिए मना कर रहे हैं।
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