हल्द्वानी: भारतीय राजनीति ने अपने सबसे बड़े हीरो को खो दिया है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने गुरुवार को दिल्ली स्थित एम्स में शाम 5 बजकर 5 मिनट पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। शुक्रवार को राष्ट्रीय स्मृति स्थल में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता ने वैदिक मंत्रोच्चारण और सैनिकों द्वारा 21 बंदूकों की सलामी के बीच उन्हें मुखाग्नि दी।
अटल बिहारी वाजपेयी ता-उम्र कुंवारे रहे और उन्होंने शादी नहीं की थी। उनके पास नमिता भट्टाचार्य नाम की एक बेटी थी, जो ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मी बाई कॉलेज) में वाजपेयी की सहपाठी रही राजकुमारी कौल की बेटी हैं । नमिता का विवाह रंजन भट्टाचार्य से हुआ है, जिन्होंने ओएसडी के रूप में भी कार्य किया था, जबकि उनके ससुर अटलजी भारत के प्रधान मंत्री थे, इस जोड़े की एक बेटी निहारिका है। कौल्स और वाजपेयी के बीच पारिवारिक संबंध खासे पुराने हैं और राजकुमारी कौल के पति बृज नारायण कौल की मौत के बाद वाजपेयी उनके घर के एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा बन गए थे। वाजपेयी जब पीएम बने तो उनके सरकारी निवास पर राजकुमारी कौल अपनी बेटी नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य के साथ रहती थीं। वाजपेयी ने 70 के दशक में नमिता को आधिकारिक तौर पर गोद ले लिया था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राष्ट्रीय स्मृति स्थल में महान नेता को अंतिम विदाई दी। इस मौके पर कई देशों के अधिकारी भी मौजूद थे। राजकीय सम्मान के तहत नेताओं द्वारा वाजपेयी के पार्थिव शरीर को पुष्पमाला अर्पित करने से पहले तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वाजपेयी के पार्थिव शरीर से लिपटे तिरंगे को हटा लिया गया और इसे दत्तक पोती निहारिका को दे दिया गया, जिसके बाद पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों का सौंप दिया गया।