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अटल जी, उत्तराखंड और उनका स्कूटर जिससे वह मसूरी की सैर करते थे

हल्द्वानी: सादा जीवन,उच्च विचार में विश्वास रखने वाले भारत रत्न स्व. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो कर आज दो साल हो गए हैं। वाजपेयी जी भले ही दुनिया छोड़ कर चले गए हों, मगर उनके सपने, उनकी बातें और उनकी यादें आज भी हमारे बीच ज़िदा हैं। उत्तराखंड तो वैसे भी अटल जी को हमेशा ही बहुत प्रिय रहा। यहां देहरादून आना और मसूरी की वादियों में घूमने का शौक अटल जी को हमेशा रहा।

आपको याद होगा वाजपेयी जी की सरकार में ही उत्तराखंड को एक अलग राज्य के रूप में घोषित किया गया था। बहरहाल उत्तराखंड तो अटल जी को अधिक प्रिय था ही। वे यहां जब भी आते, मसूरी पहुंच कर हमेशा ही शांति से वादियों में बैठ कर प्रकृति से बातें किया करते थे। अटल जी का देहरादून आने का मकसद घूमने के अलावा कुछ और बी हुआ करता था। वे यहां अपने पारिवारिक मित्र स्व. नरेंद्र स्वरूप मित्तल से मिलने आया करते थे।

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दून आने पर अटल जी का सारा वक्त अपने मित्र के साथ घूमने, बातें करने या उनके घर पर आराम करने में ही निकलता था। स्व. नरेंद्र स्वरूप मित्तल के पुत्र पुनीत मित्तल, जो कि अब एक भाजपा नेता भी हैं, बताते हैं कि उनके घर में अटल जी की कई सारी यादें हैं और कई यादों की तस्वीरें भी मौजूद हैं। बताते हैं कि वह अपने सामान का छोटा-सा ब्रीफकेस भी खुद उठाते थे। ट्रेन से आते-जाते थे। उनके ब्रीफकेस में एक धोती-कुर्ता, अंतर्वस्त्र, रुमाल और टूथब्रश होता था।

जमीन से जुड़े हुए अटल जी दून की सड़कों पर नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ 1975 मॉडल के स्कूटर पर सैर करते थे। कई दफा अटल जी नरेंद्र मित्तल के साथ स्कूटर पर ही मसूरी की सैर पर निकल जाया करते थे। अटल जी जब कभी भी देहरादून आते थे तो नरेंद्र स्वरूप उनके लिए 15-16 अखबार रोजाना मंगाया करते थे। दून के बाद वह मसूरी जाया करते थे और हफ्ते-दो हफ्ते यहां रहकर वापस दिल्ली लौट जाते थे।

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पुनीत मित्तल ने बताया कि कुछ नहीं तो कम से कम 50 बार तो अटल जी उनके घर आए ही होंगे। बता दें कि अटल जी ने देहरादून का आखिरी दौरा 19 फरवरी 2007 को किया था। तब वे चुनावी सिलसिले से यहां पधारे थे।

बहरहाल अब अटल जी हमारे साथ नहीं हैं। मगर अब भी वे कदम कदम पर हमें अपने शक्तिशाली व्यक्तित्व, प्रेरणादायक छवि और मार्मिक कविताओं से बहुत कुछ सिखाते हैं। शायद यह सीखने सिखाने का सिलसिला कभी थमने भी नहीं वाला, क्योंकि अटल जी हमारे दिलों में बसते हैं। राजनीति में और राजनीति से हट कर भी अटल जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं दिखाई पड़ा। हम अटल जी को पुन: श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। नमन।

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