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नेपाल ने भारतीय चैनलों का प्रसारण किया बंद, सालाना 8 अरब का होगा नुकसान


टनकपुर: गुज़रे कुछ वक्त से नेपाल तरह तरह की परिचर्चाओं और विवादों का केंद्र रहा है। हाल में नेपाल सरकार द्वारा लिये गए कुछ फैसले अखबारों की सुर्खियां बंटोरने में सफल रहे हैं। जिसमें से ज़्यादातर फैसलों या बयानों ने भारत नेपाल के रिश्तों को नुकसान पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। दरअसल खबरों की माने तो नेपाल ने भारतीय ब्रॉडकास्टर्स फोरम के आग्रह को दरकिनार करते हुए क्लीन फिड (विज्ञापन मुक्त प्रसारण) लागू कर दिया। गुरूवार देर रात को लिये गए इस फैसले के कारण शुक्रवार मध्य रात्रि 12 बजे से कुल 108 विदेशी चैनलों का प्रसारण नेपाल में बंद हो जाएगा। जानकारी के अनुसार बंद किये जाने वाले 108 चैनलों में ज़्यादातर चैनल्स भारतीय हैं। अगर आंकड़ों पर जाएं तो नेपाल के इस बड़े कदम से भारतीय चैनलों को बहुत नुकसान झेलना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि सालाना करीब आठ अरब की चपत भारतीय चैनलों की आय पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

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नेपाल फिलहाल सुदूर पश्चिम में चीनी द्वारा किये गए अतिक्रमण से सहमा हुआ है। ऐसे में नेपाल अक्टूबर की शुरुआत से ही से भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने की कोशिशों में जुटा रहा। खबरों के मुताबिक पहले यही रोक आठ अक्टूबर से लगनी थी, यह तय हुआ था। लेकिन रिश्ते सही करने की ज़द्दोजहद और बदले हालात में भारतीय ब्राडकास्टर्स फोरम की अपील पर नेपाल ने इसे स्थगित कर दिया था। लेकिन अचानक गुरुवार रात नेपाल अपने वादे से मुकर गया और देर रात ही प्रसारण पर रोकथाम की घोषणा करवा दी। गौरतलब है कि इस बड़े फैसले के पीछे छिपे कुछ बड़े कारण भी रहे। जैसे कि नेपाल के लोग वहां के चैनलों से ज़्यादा भारतीय हिंदी चैनल्स को देखना पसंद करते हैं।

नेपाल में भारतीय मनोरंजक टीवी चैनल खासे पसंद किए जाते रहे हैं। नेपाल के मधेश में तो भारतीय हिंदी चैनलों की टीआरपी हमेशा पहले पायदान पर ही रहती है। खासतौर पर भारतीय फिल्में या सीरियल्स, यहां के लोगों को बहुत पसंद आते हैं। ऐसे में नेपाली और विदेशी कंपनियां भारतीय चैनलों में ही विज्ञापन प्रसारित करती हैं। इनकी अपेक्षा नेपाली चैनलों की आमदनी एक चौथाई भी नहीं होती। कुल मिला कर नेपाल सरकार का कहना यह है कि भारतीय चैनलों के कारण नेपाली चैनलों की आय बिल्कुल ठप्प हो गई है। यही कारण है कि उसने विदेशी चैनलों के लिए विज्ञापन मुक्त प्रसारण नीति लागू की है। यह नीति लागू होने के तुरंत बाद से ही भारतीय चैनलों को नेपाल से विज्ञापन मिलना बंद हो जाएगा और भारतीय चैनलों के लिये यह बहुत मुश्किल होगा कि वे बिना आय ही प्रसारण जारी रख सकें।

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फिलहाल दो भारतीय चैनल ऐसे भी हैं जिन को नेपाल सरकार से थोड़ी रियायत भी मिली है। नए नियम के तहत ज़ी के बारह और सोनी के आठ चैनलों का प्रसारण अभी पूर्व की भांति ही होगा। लेकिन समाचार चैनलों की नेपाल से पूर्णत: विदाई हो जाएगी। कार्टून और कलर्स के चैनलों के साथ ही अन्य दूसरे भारतीय मनोरंजन चैनलों का प्रसारण भी पूरी तरह रोक दिया जाएगा। नेपाल विज्ञापन संघ का मानना है कि विदेशी चैनलों के विज्ञापन मुक्त प्रसारण से नेपाली चैनलों को हर ओर से लाभ होगा। इससे भारतीय चैनलों को सालाना करीब आठ अरब नेपाली रुपये की होने वाली आमदनी भी अब नेपाली चैनलों के हिस्से आएगी। जिससे नेपाल की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद रहेगी। ऐसा नहीं है कि इस तरह कि घोषणा नेपाल सरकार द्वारा पहली बार की गई है। इससे पहले भी नेपाल ने जुलाई में पांच भारतीय चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाई थी।

भारत सीमा विवाद को तूल देने का आरोप लगाकर, नेपाल की सरकार द्वारा पांच भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण स्थगित किया गया था। हालांकि बाद में भारत सरकार की दखल अंदाज़ी के बाद प्रतिबंध हटा दिया गया था। नेपाल केबल टेलीविजन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर पराजुली ने बताया। उन्होंने कहा कि शुक्रवार मध्य रात से क्लीन फिड के नियमों का पालन करने वाले मात्र 32 विदेशी चैनलों का ही प्रसारण नेपाल में होगा। 180 से अधिक चैनलों का प्रसारण फिलहाल रोक दिया जाएगा। 

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