कांग्रेस पार्टी के अंदर कई बड़े बदलाव हो रहे है जिससे आग भड़कने में देरी नहीं लगेगी क्योंकि चिंगारी अभी भी जल रही है जरूरत है तो सिर्फ एक विपरीत हवा कि और यह हवा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओ ने चिट्ठी लिखकर अपनी बात पर डटे रहने निर्णय लिया है। कांग्रेस पार्टी की नाजुक स्थिति पर नेताओ ने सवाल उठाए है और मांग की है कुछ नेताओ के फैसले का जवाब देते हुए मंगलवार को वरिष्ठ नेताओ ने कहा है कि जो मांग की है वह कांग्रेस पार्टी के हित में है। कांग्रेस के कई बड़े नेता जैसे कपिल सिब्बल, विवेक तनख़ा, आंनद शर्मा अपनी मांग को लेकर डटे हुए है और ट्विटर पर ट्वीट करके इस बात को अंतिम फैसले तक ले जा सकते है
सोमवार को हुई सात घंटे की कांग्रेस कार्य समिति बैठक में सोनिया गांधी के कंधो पर जिम्मेदारी रखते हुए सभी निर्णयों पर फैसला लेने की जिम्मेदारी दी है और कहा है कि छह महीने के अंदर कुछ बड़ा होगा इस बैठक में कम से कम 25 वरिष्ठ नेताओं ने चिट्ठी लिखी गई। इस बैठक में चिट्ठी के विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई जिससे यह मुद्दा दब गया अब यह नेताओ को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक का इंतजार है
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राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने के लिए वरिष्ठ नेताओ ने इसका विरोध किया बैठक में एक खेमा चिट्ठी लिखता तो दूसरा खेमा उस चिट्ठी की आलोचना करता नजर आया। वरिष्ठ नेताओं में से एक कपिल सिब्बल ने मंगलवार को ट्वीट करके कहा कि मुझे किसी भी पद का लालच नहीं है मेरा देश मेरे लिए अहम है और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, विवेक तनख़ा ने भी ट्वीट करके कहा कि हम और नेताओ कि तरह बागी नहीं है यह चिट्ठी कांग्रेस पार्टी के हित के लिए है।
कांग्रेस पार्टी के महा सचिव मुकुल वासनिक ने चिट्ठी की तारीफ करते हुए कहा कि यह चिट्ठी हित के लिए ही लिखी गई है जो भी मुद्दे वरिष्ठ नेताओं ने उठाए है उनका उद्देश्य गलत नहीं है इन सभी मुद्दे पर आज नहीं तो कल फैसला लिया जाएगा विवेक तनख़ा ने भी ट्वीट करके कहा कि इतिहास वीरों को याद करता है हमेशा कायरों को नहीं।
कार्य समिति के स्थाई सदस्य और वरिष्ठ नेता पी सी चाको ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मुझे बैठक में नहीं बुलाया गया आगे मै बैठक में शामिल होता तो शायद कोई हल जरूर निकल के आता लेकिन कांग्रेस पार्टी ने चाको को बैठक में नहीं बुलाया उन्होंने मीडिया से यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी में कोई मजबूत काम नहीं होते पार्टी के नेता पत्र लिखते है और बैठक से एक दिन पहले मीडिया में जारी कर देते है जो कि उचित नहीं है।