हल्द्वानी: प्रदेश को बने हुए इतना समय हो गया मगर अभी भी इधर उधर से अस्पतालों की लापरवाही की खबरें सामने आती रहती हैं। हमने कोविड-19 के इन नौ-दस महीनों में भी उत्तराखंड के कई सरकारी स्कूलों से लापरवाही की बातें सुनी थीं। इसी बीच अब पीपीपी मोड वाले रामनगर अस्पताल से आई लापरवाही की खबरें एक बार फिर चौंका रही हैं।
लापरवाही ऐसी कि गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराहती रह गई, उसका पति प्रशासन और स्टाफ के आगे हाथ जोड़ता रह गया मगर किसी ने एक सुनी। ना टैंपो में बैठी महिला को स्टाफ देखने आया और ना ही उसे अस्पताल के अंदर ले जाने की अनुमति दी गई। अंजाम यह हुआ कि महिला ने टैंपो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। फिल्हाल बच्चे की हालत गंभीर बताई जा रही है।
दरअसल रामनगर के गुलरघट्टी के रहने वाले मो. शकील की 27 साल की गर्भवती पत्नी को सुबह प्रसव पीड़ा होनी शुरू हुई। जिसके बाद परिवार वाले उसे पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे रामनगर अस्पताल में ले आए। सुबह 10 बजे के करीब जब परिजन पीड़िता के साथ हॉस्पिटल के गेट पर पहुंचे तो अंदर से स्टाफ को बुलाया गया। महिला के परिवारजनों का आरोप है कि अस्पताल का स्टाफ और डॉक्टर, कोई भी महिला को देखने नहीं आया।
जानकारी के मुताबिक करीब 10 मिनट बाद मिहला ने टैंपो में ही बच्चे को जन्म दे दिया। हालांकि उसके बाद अधिक भीड़ लगने से जब अस्पताल पर दबाव पड़ा तो उन्होंने फौरन जच्चा-बच्चा को भर्ती कर लिया। पति शकील ने बताया कि बेटे का जन्म छह महीने में हुआ है। जिसके कारण वह परिपक्व नही है। बहरहाल उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे रेफर कर दिया गया है।
इधर सीएमओ डॉ भागीरथी जोशी और पीपीपी अस्पताल के मैनेजर डॉ राकेश वाटर न मामले को जल्द ही संज्ञान में लेने की बात कही। दोनों ने कहा कि रवैया गलत है और जांच की जाएगी। ऐसे में दुख होता है कि उत्तराखंड के अस्पतालों के इस लापरवाही भरे रवैये की चपेट में आकर नाजाने कितने लोग परेशानियां उठाते होंगे।
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