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राम मंदिर निर्माण का पहला काम उत्तराखंड में शुरू हुआ, हरिद्वार है सच में खास


नई दिल्ली: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में राम मंदिर के भव्य भवन को आकार प्रदान करने के लिए रखी जाने वाली नींव की डिजाइनिंग और मिट्टी की जांच केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिक, एल एंड टी कंपनी, IIT मद्रास के साथ शुरू की है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए राम मंदिर स्थल की मिट्टी का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। राम मंदिर की नींव की संरचना भूकंप और तूफान जैसी तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए बनाई जाएगी। इसका अध्ययन इसलिए किया रहा है ताकि डिजाइनिंग करते समय नींव को हर प्रकार की आपदा सहने में सक्षम बनाया जा सके।

संस्थान के निदेशक डॉ. एन गोपालकृष्णन के आदेश पर संस्थान के जियो टेक्निकल डिवीजन के प्रमुख डॉ. शांतनु सरकार के नेतृत्व में श्रीराम मंदिर की नींव की डिजाइनिंग के लिए परीक्षण शुरू कर दिया है।

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अयोध्या में मंदिर स्थल पर निरीक्षण शुरू

वैज्ञानिकों की टीम ने अयोध्या में मंदिर स्थल का निरीक्षण भी किया है। वैज्ञानिक डॉ. शांतनु सरकार ने कहा कि जियो टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन तकनीक के जरिये भूमि के भीतर की मिट्टी की जांच की जारी है। कंपनी 60 मीटर से अधिक गहराई तक मिट्टी को ड्रिल कर निकाल रही है। मिट्टी परीक्षण में मिट्टी के आकार में बदलाव का भी निरीक्षण किया जाएगा, भूकंप और तूफान जैसी तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए। मंदिर निर्माण जो प्राचीन और पारंपरिक निर्माण तकनीकों का पालन करls ugS किया जाएगा। कहा जा रहा है यह अगले 36 से 40 महीनों में पूरा हो जाएगा।

हरिद्वार की भेंट

श्रीराम मंदिर आंदोलन से भूमि पूजन और इसके निर्माण तक में हरिद्वार की अहम एक भूमिका रही है। पांच अगस्त को श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के लिए हरिद्वार के सदाणी आश्रम से खास चांदी की कन्नी और फावड़ा भेजा गया था जिससे मंदिर के नींव की पहली ईंट रखी गई थी।

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