रुद्रपुर: जिला सहकारी बैंक की एक शाखा से करोड़ों का घोटाला सामने आया है। इस एफडी व आरडी घोटाले में बैंक प्रबंधन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। इससे पहले सख्त एक्शन लेते हुए क्लर्क पंकज पांडे व रणधीर सिंह को सस्पेंड किया है। मुख्य आरोपित तत्कालीन शाखा प्रबंधक शकील की पहले ही मौत हो चुकी है।
दरअसल ये गड़बड़ी मझोला शाखा में हुई है। पीलीभीत के रहने वाले प्रबंधक मोहम्मद शकील ने लोगों के खाते खुलवाकर एफडी व आरडी कराई थी मगर ना ही कोई फॉर्म भरवाया ना ऑनलाइन रिकॉर्ड दर्ज किया। घर से ही एफडी कर सर्टिफिकेट व पासबुक जारी कर दीं।
कुछ महीने पहले शकील का ट्रांसफर चीनी मिल सितारगंज की शाखा में हुआ। उसके कुछ समय बाद ही यानी मई के तीसरे हफ्ते में उसकी मौत हो गई। ऐसे में जब लोग अपनी एफडी व आरडी तुड़वाने पहुंचे तो उन्हें पता चला कि बैंक में उनके खाते ही नहीं थे।
मामला ऊपर तक पहुंचा तो जांच बैठ गई। जानकारी के अनुसार पीलीभीत के लोगों से एफडी के नाम पर 50 हजार से पांच लाख रुपये तक हड़पे गए। मामले की जांच में कई लोगों के लिप्त होने की संभावना जताई जा रही है। चूंकि ये बैंक सीबीएस प्रणाली से जुड़ी हैं, इसलिए खाता खोलने से पहले फार्म भरना जरूरी होता है।
मगर प्रबंधक शकील ने लोगों से रुपए लेने के बाद घर से ही पासबुक जारी कर दीं। लोगों ने भी प्रबंधक पर पूरी तरह विश्वास कर लिया। बहरहाल अब डीसीबी के उप महाप्रबंधक राम यज्ञ तिवारी की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी गई है। कमेटी में अनुभाग अधिकारी हरि यादव व संजय कुमार शर्मा भी हैं।
हफ्ते भर में जांच पूरी होने की उम्मीद है मगर अटपटा ये है कि पास बुक व एफडी के प्रमाण पत्र बैंक शाखा से गायब होने की जरा भी खबर कर्मचारियों को नहीं लगी। साथ ही पीलीभीत के लोगों की यहां की बैंक में एफडी व आरडी के लिए पड़ोसी प्रदेश का कुछ दस्तावेज होना चाहिए। जब पीलीभीत के लोगों ने पासबुक लिए तो उन्होंने इसकी जानकारी भी नहीं ली।
बैंक के कार्यवाहक अध्यक्ष योगेंद्र रावत का कहना है कि डेढ़ करोड़ की गड़बड़ी बैंक में नहीं हुई है। इस मामले में शकील के समय बैंक शाखा में तैनात क्लर्क पंकज पांडे व रणधीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। प्रबंधक का पीएफ, फंड पर रोक लगाने के बाद जांच कमेटी गठित की है। जिसके रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।