नई दिल्ली : ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड जीतकर इतिहास रचने वाली हिमा दास पूरे भारतवर्ष की सुर स्टार बन गई है। हिमा की कामयाबी के बाद उन्हें देश के कोने कोने से बधाई संदेश आ रहे हैं। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी। हिमा ने कामयाबी पर हर कोई गौर कर रहा है लेकिन भारत की इस चिढ़ियां की कहानी संघर्षों से भरी हुई है जिसे सुन आप भावुक हो जाएंगे। हिमा असम के एक छोटे से गांव से निकल आई और उन्हें पूरे विश्व को अपनी दौड़ से दिवाना बना दिया।
हिमा ने अपने करियर की शुरूआत फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर की थी लेकिन बाद में वो एथलेटिक्स में पहुंच गईं। नौगांव जिले के कांदुलिमारी गांव के किसान परिवार में जन्मी 18 वर्षीय हिमा भारत की पहली महिला विश्व चैंपियन हैं जिन्होंने फिनलैंड में आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीता। वह महिला और पुरूष दोनों वर्गों में ट्रैक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय भी हैं। वह अब नीरज चोपड़ा के क्लब में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने 2016 में पोलैंड में आईएएएफ विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप में भाला फेंक (फील्ड स्पर्धा) में स्वर्ण पदक जीता था।
हिमा के पिता का नाम पिता रंजीत दास है और वह किसान है। उनके पास करीब दो बीघा जमीन है। उनकी मां हाउसवाइफ हैं। उनके परिवार में 6 सदस्य है जिनका ये दो बीघा जमीन गुजारा करती है। हिमा चार भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं।उसकी दो छोटी बहनें और एक भाई है।
एक छोटी बहन दसवीं कक्षा में पढ़ती है जबकि जुड़वां भाई और बहन तीसरी कक्षा में हैं। हिमा खुद अपने गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित ढींग के एक कॉलेज में बारहवीं की छात्रा हैं।हिमा के पिता रंजीत ने असम में अपने गांव से कहा, ‘वह बहुत जिद्दी है। अगर वह कुछ ठान लेती है तो फिर किसी की नहीं सुनती, लेकिन वह पूरे धैर्य के साथ यह काम करेगी। वह दमदार लड़की है और इसलिए उसने कुछ खास हासिल किया है।