देहरादून: एक चोट खिलाड़ी के लिए शारीरिक ही नहीं मानसिक दर्द भी देती है। खिलाड़ियों को चोट से उभरने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपने खेल को चोट के कारण दूर होता देख किसी भी खिलाड़ी के लिए बुरे सपने की तरह होता है। ऐसा ही कुछ उत्तराखण्ड की रहने वाली व राष्ट्रीय बॉक्सिर गीतिका राठौर के साथ हुआ। चोट से ना उभर पाने के चलते गीतिका सदमें में चले गई और उसने मौत को गले लगा लिया। गितिका के इस कदम से बॉक्सिंग फेडरेशन और साथी खिलाड़ी भी सकते में हैं। परिजनों ने बताया कि देहरादून में एक प्रतियोगिता के दौरान उसके घुटना टूट गया था, जिसकी वजह से बाद में उसे घुटना प्रत्यारोपित करना पड़ा था। इसके बाद से लगातार उसकी प्रेक्टिस में असर पड़ रहा था। इसे ही उसके अवसाद की वजह बताया जा रहा है।
गीतिका राठौर (18) पुत्री हुकुम सिंह राठौर मुंगरोली गांव की रहने वाली थी। गितिका ने बुधवार शाम को जहर गटक लिया था। मां ने उसे उल्टी करते हुए देखा तो इस बारे में पता चला। उसके बाद 108 वाहन से उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गौचर लाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे पिथौरागढ़ रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में गितिका ने दम तोड़ दिया।
गितिका एक शानदार खिलाड़ी थी। उसने साल 2016 में जनवरी और अप्रैल में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य का प्रतिनिधित्व किया था। गीतिका पिथौरागढ़ के एक विद्यालय में इंटर में पढ़ती थी। पढ़ने में होशियार गीतिका अच्छी बॉक्सर थीं। वह कुछ दिनों से बीमार थी, उसका इलाज चल रहा था। बीमारी की वजह से वह मानसिक अवसाद से ग्रस्त थी। गीतिका के पिता डिग्री कॉलेज मुवानी में चौकीदार के पद पर तैनात हैं।
दो संतानों में गीतिका बड़ी थीं। उसका एक छोटा भाई है। गीतिका की मौत से घर में कोहराम मचा है।गीतिका राठौर ने वर्ष 2015 में देहरादून में आयोजित राज्य स्तरीय बाक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीता था। गितिका ने 9वी कक्षा से बॉक्सिंग सिखना शुरू किया था। उसके कोच बताते है कि गितिका के अंदर विश्वचैंपियन बनने की ललक थी। वो हर वक्त ऊर्जा से भरी रहती थी। चोट के चलते वो सदमें में थी। उसकी मौत से पूरे स्पोर्ट्स कॉलेज सदमें में हैं।