हल्द्वानी: उत्तराखण्ड में विकास की बात कितनी भी हो जाए लेकिन पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लापरवाही में रोज की है। कभी कोई गर्भवती को पैदल किलोमीटर चलकर हॉस्पिटल लाया जाता है। सरकार ह़ॉस्पिटल को सहारा बनाने की बात करती है, लेकिन चिकित्सलय बनते नहीं और लोगों की जान चले जाती है। ताजा मामला पिथौरागढ़ के थल का है, जहां एक महिला की 108 एंबुलेंस की मदद ना मिलने से जान चले दई। बीमार महिला को वक्त रहते इलाज नहीं मिला जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना के सामने आने के बाद एक बार फिर सरकार की उस नीति पर सवाल उठा रही है जो पहाड़ के लोगों को खुशहाली देने की बात करती है। महिला की मौत से परिवार वालों का रोरोकर बुरा हाल है।
खबर के अनुसार गुरुवार को घंगोली की कलावती देवी (60)गंभीर रूप से बीमार हो गई। परिजनों ने पहले महिला को अस्पताल ले जाने के लिए के लिए 108 को फोन संपर्क किया। 108 के कर्मियों ने बांस की झाड़ी तक महिला को लाने को कहा। इसके बाद परिजन उसे एक निजी वाहन से 4 किमी दूर बांस की झाड़ी तक ले गए । जिसके बाद 108 वाहन से उसे एक किमी के सफर के बाद गौचर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भर्ती करा दिया गया। बताया जा रहा है कि महिला टायफाइड से ग्रस्त थी। इसके बाद महिला को जिला चिकित्सालय रेफर किया गया, लेकिन 108 कर्मियों ने तेल नहीं होने की बात कहकर आगे जिला अस्पताल जाने से इंकार कर दिया। परिजन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और वो तुंरत महिला को ले जाने के लिए निजी वाहन का प्रबंध नहीं कर पाए ।
बाद में वे मजबूर होकर महिला को वापस अपने गांव ले आए। उपचार के अभाव में महिला ने देर रात दम तोड़ दिया। महिला की मौत के बाद क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि अगर 108 से किसी की जान नहीं बच सकती है तो उसे चलाने का क्या फायदा है।