टनकपुर: प्रदेश के स्वास्थ्य संबंधी मामलों में एक बार फिर शिकायत सामने आई है। इस बार एक हॉस्पिटल ने मजदूर वर्ग की गर्भवती महिला को भर्ती करने से मना कर दिया तो महिला ने अस्पताल के बाहर ही दर्द में बच्ची को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि महिला के पास जच्चा बच्चा कार्ड ना होने के कारण हॉस्पिटल वालों ने यह रवैया अपनाया। बहरहाल मां और बेटी को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
श्रमिक सुभाष कश्यप जो कि शारदा नदी के डाउन स्ट्रीम में खनन कार्य करता है, उसकी पत्नी मीरा को प्रसव पीड़ा की शिकायत पर शुक्रवार को संयुक्त चिकित्सालय लाया गया। जहां हॉस्पिटल वालों ने उसे भर्ती करने तक से मना कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि उसके पास जच्चा बच्चा कार्ड नहीं था। पति गिड़गिड़ाया और महिला रोती रही, मगर प्रशासन ने सुध तक नहीं ली।
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फिर हुआ यह कि मीरा ने अस्पताल के बाहर ही बेटी को जन्म दे दिया। हालांकि दोनों जच्चा बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं मगर गुस्साए लोगों ने राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक के साथ मिलकर नारेबाजी करना शुरू कर दी। जब मामले की गर्मी बढ़ी तो एसडीएम हिमांशु कफल्टिया भी अस्पताल पहुंच गए। बाद में दबाव बढ़ता देख डाक्टरों ने जच्चा-बच्चा को भर्ती कर लिया।
इधर, सीएमएस डा. एचएस ह्यांकी ने कहा कि महिला का पति उसे भर्ती कराने की प्रक्रिया पूरी कर रहा था। इसी बीच प्रसव हो गया। महिला को भर्ती नहीं करने का आरोप गलत है। आपको बता दें कि जच्चा-बच्चा कार्ड होने पर निश्शुल्क प्रसव कराया जाता है। सीएमएस डा. एचएस ह्यांकी का कहना है कि इसलिए डाक्टरों ने कार्ड के बारे में पूछा था। जानकारी के मुताबिक मीरा कश्यप मूल रूप से खुर्द सीतापुर की रहने वाली है। उसके पति शारदा नदी में खनन श्रमिक हैं।
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