Uttarakhand Electricity Bill : उत्तराखंड में रहने वालों का खर्चा बढ़ सकता है। ऊर्जा निगम की ओर से एक प्रस्ताव भेजा गया है। ये प्रस्ताव फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट (एफपीपीए) को मासिक आधार पर बिजली के बिल में जोड़ने को लेकर है। अब उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग इस पर अध्ययन कर रहा है। वहीं 11 अगस्त को जन सुनवाई रखी गई है, जिसमें उपभोक्ता अपनी आपत्तियां व सुझाव देंगे। एफपीपीए मासिक आधार पर बिल में जुड़ने पर उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार पड़ सकता है।
उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं से महज 25-30 प्रतिशत बिजली मिलती है। ऊर्जा निगम का कहना है कि मांग पूरी करने के लिए करीब 70 प्रतिशत बिजली अन्य स्रोत से प्राप्त होती है। थर्मल प्लांट से अधिकांश बिजली खरीदी जाती है।
कोयला आधारित प्लांट में बिजली की दरें कोयले की दरों पर निर्भर करती हैं। ऐसे में पैदा होने वाली बिजली के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले के दाम पर निर्भर होता है। जिसे ऊर्जा निगम से फ्यूल एंड पावर परचेज चार्ज के रूप में वसूला जाता है।
उत्तराखंड के लोगों के निगम थर्मल प्लांट से बिजली खरीदकर उपलब्ध कराई जाती है। ऐसे में ऊर्जा निगम इस चार्ज को उपभोक्ताओं के बिल में जोड़ देता है। यह फ्यूल एंड पावर परचेज एडजेस्टमेंट के रूप में अब तक तीन-तीन माह में उपभोक्ताओं के बिल में जोड़ा जाता था, लेकिन अब निगम की ओर से हर माह इसे जोड़ने को लेकर प्रस्ताव भेजा है।
आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, नियामक आयोग ने लोगों से सुझाव व आपत्तियां मांगी है। आगामी 11 अगस्त को जन सुनवाई देहरादून में होगी। जनता के सुझाव के बाद ही प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। एफपीपीए में बेसिक चार्ज से अधिकतम 20 प्रतिशत अधिक चार्ज ही उपभोक्ताओं से वसूलने के तैयारी ऊर्जा निगम की है।