उत्तराखंड के बागेश्वर से बड़ी खबर सामने आ रही है। बैजनाथ मंदिर समूह में धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा भीम पत्थर को किसी ने तोड़ दिया है। यह पत्थर पूरी दुनिया में मशहूर था। और हर साल हजारों लोग इस पत्थर को देखने आते थे। यह ऐसा पत्थर था, जिसे नौ लोगों की उंगुलियों से उठाया जा सकता है,लेकिन कभी कोई अकेला इंसान इस पत्थर को नहीं उठा पाया। टूटे पत्थर को देख श्रद्धालुओं और कत्यूरी समाज के लोगों में काफी गुस्सा है। कत्यूरी समाज के लोगों ने जिलाधिकारी से इस मामले में शिकायत की है।विभिन्न संगठनों की मांग के बाद गुरुवार को तहसीलदार और थानाध्यक्ष ने मौका मुआयना कर टूटा हुआ पत्थर देखा। इस पत्थर का की खास बात यह है कि ये पत्थर नौ लोगों की उंगुलियों से उठ सकता है।
बता दें कि लोगों का मानना है कि उक्त शिला पांडव भीम की गैंद थी। बैजनाथ धाम में सदियों से मंदिर परिसर में एक गोल शिला थी। जिसे भीम की गेंद के नाम से जाना जाता है। यहां आने वाले लोग इस पत्थर को उठाने का प्रयास करते थे। स्थानीय, देशी व विदेशी सैलानी मंदिर दर्शन के बाद इस पत्थर को उठाने की कोशिश जरूर करते थे। पांच अगस्त को यह पत्थर अपने स्थान पर टूटा हुआ मिला। लोगों ने कहा कि यह पत्थर बैजनाथ धाम की धरोहर थी।
इस पूरे मामले में अधिवक्ता डी.के. जोशी ने प्रशासन से आस्था के प्रतीक भीम पत्थर को क्षतिग्रस्त करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुजारी पूरन गिरी गोस्वामी ने उन्हें बताया कि यह पत्थर करीब 1100 सौ साल पुराना है। जो यहां आने वालों के आकर्षक का केंद्र रहा है। उन्होंने इसके टूटने के कारणों की जांच करने को कहा।