पहाड़ का भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि पौष्टिक भी होता है। और हमेशा से ही पहाड़ी भोजन शहरी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हुए आया है। शहरी खाने में स्वाद तो होता है लेकिन पहाड़ी खाना शहर के खाने से ज्यादा स्वादिष्ट तो होता ही है,साथ ही पौष्टिक भी बहुत ज्यादा होता है। पहाड़ी व्यंजन इम्युनिटी के लिए भी काफी अच्छा होता है। इसी के चलते बाहरी शहरों में पहाड़ी व्यंजनों के लोग दीवाने हो चुके हैं। कोरोना काल में लोग अपनी इम्युनिटि पर खासा ध्यान दे रहे हैं। और अपने खाने में वे किसी भी तरह का समझौता नही कर रहे हैं। और करें भी क्यूं… क्योंकि एक अच्छा और पौष्टिक भोजन आपको कई बीमारियों से बचाता है। आपकों बता दें कि दिल्ली के कनॉट पैलेस तक पहाड़ के परंपरागत डिश वाली थाली की मांग काफी बढ़ रही है। पहाड़ी व्यंजनों को इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर देखा जा रहा है। और इसी के चलते कनॉट पैलेस में उत्तराखंडी भोजन की थाली पांच सौ रुपये में बिक रही है।
बता दें कि पहाड़ के परंपरागत खेती में शुमार मडुवा, झिंगुरा, गहत, रायता, भट्ट, राजमा, चैलाई समेत अनेक अनाज व दाल इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। चिकित्सा विज्ञान ने भी पहाड़ के व्यंजनों को एक अच्छा आहार बताया है। कोरोना काल में दिल्ली और अन्य शहरों में पहाड़ के परंपरागत डिश की डिमांड बढ़ी है। देश की राजधानी के प्रसिद्ध कनॉट पैलेस के साथ ही अन्य हिस्सों के होटलों में पहाड़ की डिश वाली थाली पांच सौ रुपये में मिल रही है।
अल्मोड़ा निवासी व दिल्ली में नेशनल मीडिया चैनल में कार्यरत प्रियंका कांडपाल का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली में पहाड़ के व्यंजनों की डिमांड काफी बढ़ गई है। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बनी थाली में मडुवे की रोटी, पहाड़ी रायता, हरी सब्जी आदि शामिल है। इसे वैदिक थाली का नाम दिया है। दावा है कि इसमें इम्यूनिटी बूस्ट करने वाला खाना है। थाली में पहाड़ी रायता, तड़के में जखिया, मंडुए की रोटी, अरबी के पत्तों के रोल भी हैं। अरबी को कुमाऊं में पिनालू और उकसे पत्तों को गाबा बोला जाता है।