देहरादून: वाहन चलाते हुए नियम का पालन करना आम जनता के लिए है, जो विभाग जागरूगता मिशन चलाता है वो ही ट्रैफिक नियमों को तोड़ रहा है। दिल्ली में प्रदूषण प्रमाण पत्र ना होने के वजह से उत्तराखण्ड की दो बसों का दो लाख रुपए चालान कट गया। इसके अलावा दोनों बसों को सीज भी कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि जब चालान जमा कराया जाएगा तभी रोडवेज की बस को छोड़ा जाएगा। निजी वाहनों में प्रदूषण जांच पत्र नहीं होने पर सख्ती करने वाले परिवहन विभाग की कार्यशैली भी इस मामले से सवालों के घेरे में आ गई है। सवाल उठ रहा है कि, जब निजी वाहनों में प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र नहीं होने पर चालान की कार्रवाई की जा रही है तो परिवहन अफसरों ने रोडवेज की बसों से नजर क्यों फेर रखी है।
खबर के मुताबिक,रुद्रपुर डिपो की बस (यूके 07पीए 1488) सोमवार को दिल्ली से लौट रही थी। इसी बीच आनंद विहार बस अड्डे के बाहर एनजीटी की ओर से बनाई गई, दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की टीम ने बस को रोका और कागजात दिखाने को कहा। जब प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र की बात आई तो ड्राइवर उसे पेश नहीं कर पाया। इस पर कमेटी ने बस का एक लाख रुपये का चालान कर बस को सीज कर दिया।
बस की सवारियों को दूसरी बस से भेजा गया। इससे पहले भी प्रदूषण प्रमाण पत्र ना होने से उत्तराखण्ड की बस का एक लाख रुपए का चालान हुआ था। 23 नवंबर को ऋषिकेश डिपो की बस (यूके 07 पीए 1952) का वापसी के समय दिलशाद गार्डन के पास दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की टीम ने प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र नहीं होने पर एक लाख रुपये का चालान कर बस को सीज कर दिया।
रोडवेज अधिकारियों के लापरवाह रवैये के चलते रोडवेज को आर्थिक नुकसान हो रहा है जो पहले से ही खराब है। चालान का मामला सामने आने के बाद रोडवेज प्रबंधक की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन महाप्रबंधक एक बार फिर बचते और बचाते नजर आए-रोडवेज के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन का कहना है कि बसों में प्रमाण पत्र था, लेकिन कमेटी ने इन्हें स्वीकार नहीं किया।