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विदेशी जोड़े को भाया उत्तराखंड, पहाड़ी रीति-रिवाज से बांधा सात जन्मों का बंधन


विदेशी जोड़े को भाया उत्तराखंड, पहाड़ी रीति-रिवाज से बांधा सात जन्मों का बंधन

रुद्रप्रयागः उत्तराखंड की परंपरा, संस्कृति और सभ्यता का कोई जवाब नहीं। ये ही वजह है कि अब विदेश के लोग पहाड़ की संस्कृति को बेशूमार प्यार भी दे रहे हैं और अपना भी रहे हैं। ऐसी ही प्यार की एक कहानी अमेरिका के सीगल और स्पेन की मेरी ने लिखी है। इन दोनों को उत्तराखंड की संस्कृति से इतना लगाव है कि दोनों ने अपनी शादी यहीं करने की ठानी। और उत्तराखंड पहुंच गए। यहां दोनों पहाड़ी रीति-रिवाज से एक दूजे संग सात फेरे लेकर सात जन्मों के बंधन में बंध गए। उन्होंने मंदिर में शादी की।

बता दें कि अमेरिका के सीगल और स्पेन की मेरी ने रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड पर स्थित बांसवाड़ा में गीता-कुटीर मंदिर में शादी की। गांव के पंडित जी ने हिंदू परंपरानुसार सीगल और मेरी की शादी करवाई। सुबह गणेश पूजन के बाद हल्दी हाथ की रस्म निभाई गई। मंगल स्नान के बाद सात फेरे लिए गए। सभी रस्में पहाड़ी रीति-रिवाज के साथ पूरी की गई। सीगल और मेरी का कहना है कि भारतीय परंपरा विश्व में सर्वश्रेष्ठ है, जो बंधनों को मजबूत करने का संदेश देती है।

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सीगल और मेरी को भारत देश बहुत अच्छा लगता है, इसी वजह से वे दोनों यहीं शादी करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि दोनों लॉकडाउन से पहले ही भारत आ गए थे। बुधवार को वे नई टिहरी के नरेंद्रनगर से पैदल चलकर ही रुद्रप्रयाग होते हुए बांसवाड़ा पहुंचे। दोनों की शादी कराने में होटल व्यवसायी अमित सजवाण और उसके पिता देवेंद्र सिंह सजवाण ने मदद की। सीगल और मेरी ने इन दोनों का भी धन्यवाद किया।

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