

हल्द्वानी: पहाड़ों में भी अब जियो लोगों को सेवा देगा। ताजा खबर के अल्मोड़ा एसएसए के अंतर्गत पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में 16 मोबाइल टावरों के निर्माण का जियो द्वारा किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जियो ने इसके लिए सर्वेक्षण का काम भी शुरू कर दिया है। बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) लगाने का जियो को मिलने से सरकारी संचार कंपनी बीएसएनएल को करारा झटका लगा है। इस क्षेत्र में बीसीएसएनल लंबे वक्त से काम कर रही थी। यह पहला मौका है कि जब एसएसए क्षेत्र में पहली बार बीटीएस लगाने का काम किसी निजी कंपनी को मिला है।
बता दें कि अल्मोड़ा एसएसए क्षेत्र के अंतर्गत पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों के सीमांत तथा दुर्गम इलाकों में नेटवर्क की दिक्कत लगातार सामने आ रही है। इस बार में जनता की ओर से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया है लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकाला गया है। इधर सीमांत और दुर्गम क्षेत्र में नेटवर्क बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार ने पिथौरागढ़ जिले में नौ और चंपावत जिले में सात बीटीएस लगाने की स्वीकृति दे दी है। इसके लिए टेंडर जारी हुए थे लेकिन बीएसएनएल टेंडर के लिए निर्धारित मानक ही पूरे नहीं कर सका और यह काम जियो को मिल गया।

जानकारी के मुताबिक बीएसएनएल को अभी तक 4-जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध नहीं हो सका है। इन टावरों को स्थापित करने के लिए कंपनी के पास 4-जी स्पेक्ट्रम होना जरूरी है। दूसरी ओर जियो के पास पहले ही 4-जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध है। जियो कंपनी ने पिथौरागढ़ के कुछ इलाकों में सर्वेक्षण का कार्य भी शुरू कर दिया है। अल्मोड़ा एसएसए क्षेत्र के अंतर्गत अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत चार जिलों में बीएसएनएल का सबसे बड़ा नेटवर्क है। अब तक इन चार जिलों में बीएसएनएल के कुल 451 टावर (बीटीएस) लगे हैं। इनमें 230 टावर 2-जी, 187 थ्रीजी और 34 टावर 4-जी वाले हैं। अब तक ये सभी टावर बीएसएनएल ने खुद लगाए हैं। यह भी पता लगा है कि इन दुर्गम और सीमांत इलाकों में जहां बीएसएनएल सालाना सेटेलाइट खर्च समेत प्रति टावर लगाने पर करीब 70 लाख रुपये खर्च करता है, वहीं जियो ने इसके लिए प्रति टावर एक करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर दिया है।






