हरिद्वार: उत्तराखण्ड में भाजपा मंत्री व विधायक अपनी पार्टी की छवि को बिगाड़ते हुए नजर आ रहे है। विवादों से पार्टी का नाम दूर होता नहीं दिख रहा है। इस बार विवाद में भाजपा के हरिद्वार विधानसभा सीट से विधायक स्वामी यतीश्वरानंद फंस गए है। उनका और हरिद्वार तहसील के लेखपाल इंद्र विक्रम सिंह रावत का ऑडियो वायरल हुआ है जिसमें विधायक जी भाषा देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा है कि वो जनता के प्रतिनिधि हैं। इस ऑडियो में विधायक लेखपाल को किसी चैंक वितरण करने पर डांट रहे हैं और बोल रहे है कि चैंक तेरे बाप ने बनाए हैं क्या? दोनों की बहस ने किसी हैराफरी की ओर इशारा कर दिया है और लोगों के द्वारा इस ऑडियो को खूब शेयर किया जा रहा है।
खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री राहतकोष से 23 चैक आए हुए थे। विधायक स्वामी यतीश्वरानंद चैक को अपने हिसाब से वितरित करना चाहते थे लेकिन लेखपाल ने चैक पहले ही बांट दिए। यह चैक श्यामपुर क्षेत्र के लिए आए थे जिनकी किमत 7-8 हजार रुपए के बताई जा रही है। इस पर नाराज विधायक ने पटवारी को कॉल किया और अशब्द कह डाले। इस मामले के सामने आने के बाद विधायक स्वामी यतीश्वरानंद यूटर्न लेते नजर आए। उन्होंने लेखपाल पर गरीबों से काम के बदले घूस लेने का आरोप लगाया। विधायक यतीश्वरानंद का कहना है कि उन्होंने किसी तरह का अपशब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया। उन्होंने बताया कि पटवारी ने ही उनसे सही से बात नहीं की थी। अब यतीश्वरानंद पटवारी को पटवारी जी संबोधित करते हुए कहते हैं कि अधिकारियों और नेताओं द्वारा साजिश की जा रही है।
इस मामले में पटवारी इंदर का कहना है कि चेकबुक देर से आने के कारण चेक वितरित होने में देर हो गया। जिसके कारण उन्होंने खुद ही चेक बांट दिये। इसी बात पर विधायक गुस्सा हो गए और फोन पर अपशब्द कहने लगे। उन्होंने इस बात की शिकायत पटवारी संघ से की है। अब पीड़ित पटवारी ने जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है।
https://www.facebook.com/khabaruttarakhandwebsite/videos/2240674279500782/
इस संबंध में जब शहरी विकास मंत्री व सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि अभी तक इस मसले पर सरकार को कोई शिकायत नहीं मिली है। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले ऑडियो और वीडियो की सच्चाई का कोई भरोसा नहीं होता है इसलिए पहले उसकी सच्चाई के बारे में पता लगाया जाएगा उसके बाद ही कुछ होगा।
यह है फोन पर हुई बात
लड़का: लेखपाल विक्रम सिंह जी बात कर रहे हैं।
लेखपाल: जी।
लड़का: माननीय विधायक जी बात करेंगे। स्वामी यतीश्वरानंद जी।
विधायक: हैलो!
लेखपाल: गुरुजी प्रणाम।
विधायक: अरे प्रणाम, तेरे को फोन किया था यहां से किसी ने?
लेखपाल: मुझे, नहीं तो।
विधायक: वो जितने भी चैक आए हैं। सुना अपने आप मत दे दियो। समझे बात। ?
लेखपाल: वो तो मैंने दे भी दिए।
विधायक: क्यूं दे दिए तूने, तू ज्यादा बड़ा नेता हो गया। तू देगा उनको ? क्यों दिये तूने ? किसके कहने पर दिए?
लेखपाल: वो तो तहसील से आए थे बंटने के लिए तो।
विधायक : हां।
लेखपाल : तहसील से आए थे।
विधायक: तेरा बाप लेकर आया वहां से, कौन लेकर आया ? कौन लेकर आया था, हमने बनवाए थे। पहले मेरी बात सुन।
लेखपाल: गुरुजी, पहले मेरी बात सुनो। मेरे साथ बदतमीजी में मत बोलना।
विधायक: बात सुनो, जो मैं कह रहा हूं वो सुन, पहले मेरी बात सुन। चैक यहां से बंटेंगे, तू सुन ले मेरी बात। बता दिया मैंने तेरे को।
लेखपाल: गुरुजी, मेरे साथ बदतमीजी से मत बोलना। अपने आप ले लो और बंटवा लो।
विधायक: तुझे फोन नहीं किया था किसी ने। आश्रम में जो लड़का रहता है, जो काम देखता है। उसने तुझे फोन नहीं किया? (अपने आफिस में पूछे कितनी बार फोन किया तैने)
लेखपाल: मुझे किसी ने फोन न करा।
विधायक: पहले मेरी पूरी बात सुन ले। तुझे आश्रम का लड़का नहीं मिला ?
लेखपाल: मुझे नहीं मिला।
विधायक: चैक आश्रम से बटेंगे।
लेखपाल: परसों आए थे, गैंडीखाता और एक गांव के दो चेक आए थे। दोनों बांट दिये मैंने।
विधायक: भई चैक वहां देकर आते हमारे आदमियों के। चैक सारे यहां से बंटेंगे। समझे बात।
लेखपाल: गुरुजी, अपने आप डील कर लो, ठीक है जी।
लेखपाल: मैं क्या कर रहा, बदतमीजी नहीं करनी मेरे साथ।
विधायक: सुन विक्रम। अब के तूने चैक बांटे तो ठीक नहीं रहेगा। बता दिया मैंने तुझे।
लेखपाल: सुनो गुरुजी मेरे साथ बदतमीजी नहीं करनी।
विधायक : जो चैक आए दे देना। नहीं तो मैं बताऊंगा तेरे को। तेरे इलाके में आकर।
लेखपाल (बार बार एक ही बात बोलता रहा) : मेरे साथ बदतमीजी से न बोलना।