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पहाड़ से निकलकर मायानगरी में छाया कुमाऊनी पिछौड़ा, पहाड़ी फैंस हुए खुशी से गदगद


हल्द्वानीः सौरभ काण्डपालः राज्य की बटियां आज हर क्षेत्र में हुनर का लोहा मनवा रही हैं। राज्य के नाम सैकड़ों कामयाबी जुड़ी हुई है। यह कामयाबी पहाड़ की प्रतिभाओं के दम पर मिलती है, जो पहाड़ से बाहर निकलकर मायानगरी में अपनी प्रतिभा के दम पर अपना परचम लहराते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है अल्मोड़ा की रूप दुर्गापाल ने। रूप दुर्गापाल ने काफी कम समय में अभिनय की दुनिया में अपना एक बड़ा नाम बनाया है।

अल्मोड़ा से मायानगरी पहुंचकर टेलीविजन की दुनिया में अपना ख़ास मुकाम बनाने वाली रूप दुर्गापाल इन दिनों अपने नए धारावाहिक ‘लाल इश्क’ को लेकर काफी चर्चा में हैं। वहीं अपने किरदार से ज्यादा वे इन दिनों अपने एक फोटो शूट से काफी सुर्खियां बटोर रही हैं। बता दें कि रूप ने पारंपरिक कुमाऊनी परिधान में फोटो शूट किया है। कुमाऊनी परिधान में उनकी फोटो को फैंस खूब पसंद कर रहें हैं।

इन तस्वीरों में रूप ने कुमाऊनी पिछौड़े के साथ उत्तराखण्ड के पारंपरिक आभूषण भी पहने हुए हैं। रूप का कहना है कि इस फोटो शूट का विचार दरअसल उन्हें अपनी मां से मिला है। मेरी मां डॉ. सुधा मुझे एक कुमाऊनी दुल्हन के रूप में देखना चाहती थी। वे चाहती थीं कि वे अपनी बेटी को पिछौड़ा, पौंची और पहाड़ी नथ पहने हुए देखें। मां की मौत के बाद जब रूप ने फोटो शूट करने का प्लान किया तो तय किया कि अपनी मां की कही बात को याद करते हुए कुमाऊनी पारंपरिक पहनावा ग्रहण करूंगी और इसे अपनी मां को समर्पित करुँगी।

रूप का बचपन अल्मोड़ा में ही बीता। और वहीं उन्होने पढ़ाई भी की। मां डॉ. सुधा दुर्गापाल कुमाऊं विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर थीं और पिता जेसी दुर्गापाल सर्जन हैं। रूप ने दसवीं तक की पढाई आर्मी स्कूल, अल्मोड़ा कैंट से की और 12वीं केन्द्रीय विद्यालय, अल्मोड़ा से की। इसके बाद रूप ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ग्राफिक एरा, देहरादून से की। इसके बाद रूप मुम्बई पहुँच गई और लगभग 6 महीने बाद रूप ने फॉक्सवैगन वेंटो का एड किया। इस एड ने उनकी किसमत ही बदल दी। इसकी वजह से उन्हे देशभर में काफी चर्चा मिली।

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