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बेटे के प्यार पर भारी पड़ा गुरु का आशीर्वाद, तीरथ सिंह रावत की रिकॉर्ड जीत


हल्द्वानी: लोकसभा 2019 चुनाव में भाजपा ने 2014 का इतिहास दोहराया और बहुमत से सरकार बनाई। अकेला दम पर भाजपा ने 300 से अधिक सीट हासिल की है। वहीं एनडीए का आंकड़ा 350 के पास रहा है। जिस मोदी लहर को हल्के में लिया जा रहा था वो सुनामी कब बनी पता नहीं चला, और जब तक पता चलता तब तक उसने अपना काम कर दिया था। उत्तराखण्ड में भाजपा ने एक बार फिर क्लीन स्विप किया। देवभूमि में त्रिवेंद्र एंड कंपनी ने पांचों सीटे अपने नाम की। हार के बाद कांग्रेस के उम्मीदवार ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

पौढ़ी लोकसभा सीट को काफी रोमाचित माना जा रहा था। इस सीट से भाजपा के तीरथ सिंह रावत और कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को टिकट दिया था। भुवन चंद्र खंडूरी को तीरथ सिंह रावत का गुरु कहा जाता है। उनकी छत्रछाया में ही रावत का करियर आगें बढ़ा। शिष्य को गुरु का आर्शीवाद मिला और वो गुरु के पुत्र को चुनाव के मैदान पर हराने में कामयाब रहा। गुरु ने भी चुनावी तैयारियों के दौरान कह दिया था कि वो परिवार से पहले पार्टी को मजबूत करेंगे।  गुरु इस कथन ने शिष्य को उत्साह के साथ भर दिया और चुनाव प्रचार में तीरथ सिंह रावत ने ऐसी ताकत झोंकी,जिसका नतीजा पूरा देश देख रहा है।

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पौड़ी-गढ़वाल सीट पर भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूरी को 302669 वोटों के अंतर से हराया। तीरथ को 506980 और मनीष खंडूरी को 204311 वोट मिले हैं। 

तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक सफर

जनपद पौड़ी के कल्जीखाल ब्लाक के सीरों गांव के मूल निवासी तीरथ रावत का राजनीतिक सफर संघर्षपूर्ण रहा है। स्व. कलम सिंह रावत के सबसे छोटे बेटे तीरथ ने गढ़वाल विवि के बिड़ला परिसर श्रीनगर से छात्र राजनीति शुरू की। वर्ष 1992 में वह सबसे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से गढ़वाल विवि बिड़ला परिसर श्रीनगर के छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद वे अभाविप के प्रदेश संगठन मंत्री, भाजयुमो में प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहे। वर्ष 1997 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य के सदस्य निर्वाचित हुए। पृथक राज्य उत्तराखंड का गठन होने पर वर्ष 2000 में राज्य की अंतरिम सरकार में तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के पहले शिक्षा मंत्री बने। वर्ष 2007 में भाजपा प्रदेश महामंत्री, प्रदेश सदस्यता प्रमुख, आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष चुने गए।

वर्ष 2012 में विधानसभा चौबट्टाखाल से विधायक चुने जाने के बाद वर्ष 2013 में उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। वर्ष 2017 में सिटिंग विधायक होते हुए टिकट कटने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी। वर्तमान में तीरथ हिमाचल प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। रामजन्मभूमि आंदोलन में दो माह तक जेल में रहे तीरथ ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।


नवनिर्वाचित गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी और प्रत्याशी के रुप में शत-प्रतिशत परिणाम दिए। तीरथ को 2013 में भाजपा के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में गईं। लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने तीरथ को गढ़वाल सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के साथ ही हिमाचल प्रदेश के प्रभारी का दायित्व भी सौंपा। उन्होंने अपनी जीत के साथ हिमाचल प्रदेश की चारों सीटें जिताकर पार्टी में खुद के कद को और मजबूत किया।

 

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