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उत्तराखण्ड स्पेशल: शिक्षक विपिन पांडे ने अनूठे ढंग से जोड़ा किताबों से छात्रों का रिश्ता


हल्द्वानी: भूपेंद्र रावत:  कुछ ऐसा कर बन्दे की नाम हो जाये, खुदा भी तुझ पे मेहरबान हो जाये, मुफलिसों की मदद के लिए दौलत नहीं तो क्या, इस हौसले से निकल की उनका काम हो जाये, जी हां इसी सोच के साथ एक शिक्षक ने उसी स्कूल से पढ़कर उसी स्कूल में अध्यापक बनकर गरीब बच्चो के लिए बुक बैंक खोला जिसके जरिये गरीब बच्चे अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, क्या है बुक बैंक आइये जानते हैं…

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शादी की 25वी सालगिरह को हर इंसान धूमधाम से मनाकर यादगार बना लेना चाहता है। गरीब बच्चे जो रोज स्कूल आते लेकिन किताब ना होने पर स्कूल से बाहर निकाल दिए जाते, इन बच्चों को देख कर शिक्षक विपिन पांडेय का मन भर आया और मन में ठान लिया की 25वी सालगिरह पर स्टूडेंट बुक बैंक की शुरुआत की जाए। लिहाज़ा तीन साल पहले स्कूल में सालगिरह का जश्न हुआ तो गुरुजी ने अपने चाहने वालो से गिफ्ट में 9वीं क्लास से 12वी क्लास तक की किताबे भेंट करने की बात कही। कहते है ना जहाँ चाह वहाँ राह, कारवां आगे बढ़ा, किताबे मिली, जहां किताबें कभी गिनती की थी आज तकरीबन 700 किताबें हैं,और इस साल तो इस स्कूल से लेकर अन्य स्कूलों के 70 बच्चे इसी बुक बैंक की किताबो से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं ।

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अपने परिवार के साथ विपिन पांडे जी

एच एन इंटर कॉलेज हल्द्वानी में स्थापित बुक बैंक से सबसे बड़ा लाभ उन बच्चो को मिला है जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नही है, किताबे महँगी हैं लिहाज़ा वे किताबे खरीदने में सक्षम नही है। सत्र शुरू होते ही बच्चे किताबे ले जाते हैं, और साल भर पढ़ने के बाद परीक्षा होते ही किताबें वापस बुक बैंक में जमा कर देते हैं। कौन किताब ले गया किस विषय की ले गया बाकायदा इसका पूरा रिकॉर्ड एक रजिस्टर में रखा जाता है। पढ़ने की चाहत रखने वाले गरीब बच्चे किताबें पाकर बहुत खुश हैं और अध्यापक विपिन पांडे के इस कदम की बहुत सराहना करते हैं । उनका मानना है कि यदि स्कूल में बुक बैंक न होता तो उनकी पढ़ाई शायद ही जारी रह पाती ।  20 मई का दिन यानी जब शिक्षक विपिन पांडेय की सालगिरह होती है उसी दिन स्कूल में बने बुक बैंक का स्थापना दिवस भी मनाया जाता है, विपिन पांडेय की इस पहल से उनके सहकर्मी भी बहुत खुश हैं, इस काम के अलावा शिक्षा, साहित्य और समाज के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए साल 2016 में शिक्षक विपिन पांडे को राष्ट्रपति पुरुस्कार ने भी नवाजा जा चुका है ।

शिक्षक विपिन पांडेय की इस पहल से तीन सालों में कितने ही निर्धन मेघावी छात्रों की निराश जिंदगी मुस्कान में बदल गयी है, विपिन पांडेय ने 1973 में हल्द्वानी के एचएन इंटर कॉलेज से हाईस्कूल किया और 1983 से इसी स्कूल में शिक्षक बन छात्रों को एक नई दिशा दी , उम्मीद की जाने चाहिए की एक शिक्षक की किताबों की यह पहल देश मे मिशाल बनकर उभरेगी ।

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