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लॉकडाउन में बिच्छू घास की चाय बेच कर कमाया मुनाफ़ा, Amazon से भी हुआ करार


अगर आप पहाड़ में रहने थे या रहते हैं तो कंडाली (गढ़वाली शब्द) यानी बिच्छू घास से जरूर परिचित होंगे। हम कोशिश यही करते हैं कि बिच्छू घास से पाला ना ही पड़े तो अच्छा है। फिर भी हमें हर जगह ये देखने को मिल ही जाती है। जबकि कोई भी इसे उगाता नहीं। लेकिन इस बिच्छू घास से ना सिर्फ चाय बनाई जा सकती है, बल्कि इसे शहरों में बेचा भी जा सकता है।

लॉकडाउन में बिच्छू घास की चाय बेच कर कमाया मुनाफ़ा, Amazon से भी हुआ करार

वाकया अल्मोड़ा के नवाड़ा गांव का है। दान सिंह नाम का युवक दिल्ली में नौकरी करता था। नौकरी छूटने के बाद कोरोना संक्रमण के दौरान जब वह गांव पहुंचा तो रोजी का संकट हो गया। फिर दान सिंह को पता चला कि बिच्छू घास से चाय बनाई जा सकती है। यही नहीं बिच्छू घास की बनी हर्बल चाय से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। तब दान सिंह के मन में आत्म निर्भर बनने का ख्याल आया।

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हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है

उन्होंने बिच्छू घास से बनी चाय की मार्केटिंग करनी शुरू कर दी। वह फिलहाल हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से कंडाली से बनी हर्बल टी बेच रहे हैं। कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जिज्ञासा पहले ही है। ऐसे में इस परेशानी को अवसर बनाकर दान सिंह ने कई बाहरी कंपनियों से करार किया। उन्होंने बताया कि अमेजॉन तक ने उन्हें 150 किलो कंडाली हर्बल टी का आर्डर दिया है।

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दान सिंह वैसे खुद भी ऑनलाइन बेच रहे हैं। और उनका इरादा है कि आगे इस चाय के दम पर गांव वालों को भी रोजगार दिया जाए। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी दान सिंह को इस कार्य के लिए बधाई दी है। बिच्छू घास फिलहाल बहुत जगहों पर पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है इसलिए लागत ना के बराबर है। लेकिन हो सकता है कि ग्राहकों से डिमांड बढ़ने पर इसकी खेती की जाए।

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